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श्री शांतिनायनो रास खेम व्हो. ३॥ एहना, सचित्त उपरें निदेप ॥ सचिनें तिम ढांके वली, बीजो कहे गत लेप ॥५॥ निजने अणदेवानगी, बुझे कहे परकीय ॥ मत्सर चोयो जिन कहे, कालातिकम होय ॥ ६ ॥ शूरपाल परें पालियें, ए व्रत निरतिचार ॥ पूछे चक्रायुध तदा,कहे जिन जगदाधार ॥ ७ ॥
॥ ढाल एकतालीशमी ॥ घरज घरज सुणोने रुडा राजीया होजी॥ ए देशी ॥ कहे जिन कहे जिन एहिज जरतमां होजी, नयर कंचनपुर नाम ॥ तिहां नृप तिहां नृप जित रिपु नामथी होजी, गिरुळ गुण धनिराम ॥ १ ॥ सुगुएरा सु गुण सनेहा सुपो वातडी होजी, कहे प्रनु शांति दयाल ॥ देता देतां हो दान सुपात्रने होजी, सवि सुख लहियें रसाल ॥ सु ॥ २ ॥ ए आंक एपी॥ तस घर तस घर राणी सुलोचना होजी, रमणी रुपनंमार ॥ तिहां एक तिहां एक महिपाल नामथी दोजी, कृत्रिय निवसे नदार ॥ सु० ॥ ३॥ करे नित्य करे नित्य कर्षण कर्मने होजी, तस घर धारिणी नार ॥ तेहनी तेहनी हो कुरखना उपन्या होजी, थंगज ते तस चार ॥ सु० ॥ ४ ॥ पहेलो हो पहेलो हो धीरपाल नामथी होजी, पच्ची पाल सुजाण ॥ देवपाल देवपाल त्रीजो हो जाएगीय होजी, गुरपाल चोयो वरवाण ॥सु०॥५॥ अंगज अंगज ए सोदामणा होजी,चारे चतुर वि नीत ॥ रू. रूपें हो अति रलियामणा हो जी, शेगवनाव व्यतीत ॥ सु० ॥ ६ ॥ यौवन योवन वय परणाविया होजी, चारेने वर नारी । पहे ली पहेलीहो चंमती सती होजी,कीर्तिमती सुविचार ॥४०॥७॥ त्रीजी त्रीजी हो शांतिमती नगी होजी, शीलमती गुणगेत् ॥ निजघर निजघर काम करे जला होजी, धरती अविड नेह ।। सु० ॥5एकदिन एकदिन चर्याकालमा दोजी, चारे महिपाल नंद ।। पादती पाठली रच पीयें उठीने हो जी, क्षत्रं गया सुखकंद ॥ तु ॥ ॥ तत तसवी तम कामिनी दोजी, नात लेने हो चार ॥ बाली चाली हो चतुरा चमकती दोजी, क्षेत्र नगी सुविचार ।। नु० ॥ १७ ॥ मारग माग्गमा यत्नयो दोजीचिटुंदिशियी जलधार ॥ गडगड़ गडगड ग्रन गाजे यां मोजी, चम्म यवमित्त धार ॥ सु०॥ ११ ॥ पवन पवन ककोले प्रति पणो होजी, फड़ी मामी रे चालार ॥ कंजुक कंचुक चीर नीनां घाण हो
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