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श्री शांतिनायनो रास खंम छो, ३६१ उनसे रेलो || सु ॥ ॥ तेहने पुरोहित सायें, प्रीति थडे घणी रे सो ॥ क० ॥ ज० ॥ रात दिवस रहे नेला, होश हैवा तणी रे लो ॥४॥ ॥३॥ न० ॥ ते व्यवहारी घरे, नारी सारी अछे रे लो ॥ क० ॥ ज० } रुपयंती गुणवंती, पति मनमा रुचे रे लो ।। सु ॥ न ॥ नामें ते प्रद्यु म्न, सिरी रति सारसी रे लोक०॥ न० ॥ देखी ते पुरोहितना,मनमाहे वसी रे लो ॥ सु० ॥ ४ ॥ ज० ॥ थयो विषया अनितापी, नारवी लाज ने रे लोक० ॥ ज० ॥ रात दिवस ते दोडे,नरवर काजने रे लो ।। ४० ॥०॥ एक दिवस ते उपर,नृपरीज्यो यति रे लोक ॥ ॥ मागो मनोवांवित कहे, हप॑ नृपति रे लो ॥ मु० ॥ ५ ॥ ॥ विपयानो उमाह्यो, बाह्यो ते धसी रे लो ॥ कर ॥ गजन मनोवांछित बर यापो, छाले इसी रे लो ॥ सु ॥ राजन पुरमा मन मानीती, नारीj मुंरे लो। क० ॥ राजन् मन मान्या सुखमांहि, काल हूं निर्गमुं रेलो ॥ सु॥ ६ ॥ गए ॥ मन शरमाणो बोलें, बंधाणो कहे रे लो। क० ॥ सांनत बात पुरोहित तुऊ, साथै दिल जे बहे रे लो। नु० ॥ कहे नृप ते सायं तुझ रमई, अवर न नवीरे लोक ॥ घरजे वात पुरोहित एद, कही जे पीलवी रेलो ॥ ॥ ॥ कहे नृप एथी जो विपरीत नु,चालीश एकदा रेलो ॥ कर ॥ कहें नृप करा नुश शिर दंम, प्यन्यायी पर तदा रे लो ॥ सुप ॥ मानी नृपनी चाणी निर्गत.ते पुरमा यो रे लो।। 20 ॥ धागल तंचो उंट वली ते, नकारडे गयों रे लो ॥ ४० ॥ ॥जमतो मुरमां ते दिन रात के, माता लांद जयं
लो ॥ ७ ॥ करतो परनारी केलि, कुशागत मवि तन्यु रे सा ।। सु । एकदिन मोया ते पुष्पवनी, नारी कपालो ||क० ॥ गगंध पयों से चिंते, निनने अंतरे लो || Rail ty | कम ए नारी मारी न्यारी, मलारे या धोरेलो ॥20॥ देखी पहना मुख मल के. मुरु लिमलमलो ॥ ॥ ज०म चिंती तन वानी, दासी मनी
लोप ॥ दावी नबनी गत सपनी बात मान लो ! सु !! नई तम कर जेम तुम स्वामिनी, मुाने चादर मा । 11 मा
सारीपार, लियामा खानाम: आतिशबाद पाड निरंनर, जीविजनिक स
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