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श्री शांतिनायनो रास खंम पांचमो. २११ अम जीवन प्राण रे ॥ ला० ॥ २१ ॥ मायडी तिलक कयं कुंकुमर्नु, दीधु श्रीफल सार रे ॥ दधिनोजन करिने सिदि कीधी, श्री वत्सराज कुमार रे ॥ ला० ॥ २२ ॥ कांक संवल लेई साथें, पग पालो ते चा व्यो रे ॥ खड्ग खेटक संयुत दक्षिण दिशि, हीमे हर्पणुं माल्यो रे ॥ ला ॥ २३ ॥ नव नव जाति विनोदने जोतो, फरतो वहु पुर ग्रामें रे ॥ धाग ल एक घटवी तिहां यावी, नहिं मानवतुं नाम रे ॥ला ॥ २४ ॥ तिहां जातां प्राकार विराजित, लघुपत्तन एक दीढं रे ॥ देखी विजन वत्सराज विमासे, ए कां कोतुक मीतुं रे ॥ ला० ॥ २५ ॥ पंचम खंमें ढाल वीशमी, राममुनि एम जांखे रे ॥ धन्य एहवे तामें जे तिलनर, जय मनमा नवि राखे रे ॥ ला ॥२६॥ सर्वगाथा ॥६६॥ श्लोक ३१
॥ दोहा ॥ ॥ नूत प्रेत राइस त, दीसे पुर कोइ एह ॥ अथवा ए चिंता किसी, ज जो ससनेह ॥ १ ॥ नयरमांहिं जोवे जइ, महोढुं मंदिर एक ॥ लघु वीजां तस पाखती, निरखे ते सुविवेक ॥ २ ॥ सनामांहि वेतो तिहां, दी तो पुरुप प्रधान ॥ तस परिवारने पूठीयु, ए कोण सुगुण निधान ॥३॥ कुए नामें दीसे नगर, कुए स्वामी ए पास ॥ नर बोले ए नहिं नगर, नाहिं नरपतिनो वास ॥ ४ ॥ पण इहांधी नहिं ढूकडु,नहिं वेगखें सार ॥ नूति सकानिध पुर अ, नूरमपी उर हार ॥ ५॥ वेरसिंह नामें नलो, वेरी गज पंचास्य ।। रूपवती राणी तपो, प्रीतम लील विलास ॥ ६ ॥ तिण पुरमा रंगें रहे, दत्त नामें एक शेव ॥ दोलतने दोरे करी, सहुये जेहथी देव ॥ ४ ॥ श्रीदेवी नामें निपुण, नारी निरुपम रूप ॥ रति दासी कीधी जेणे, मोहन बेली अनूप ॥ ७ ॥ तेहनी कूखें उपनी, तनया अति सुधि नीत ॥ श्रीदत्ता नामें जली, मात पिताने चिंत ॥ ॥
॥ दाल एकवीशमी ॥ ॥ महाविदेद देव लोहामएं । ए देशी ॥ जर योवन थाची जनी, वाला तन सकुमाल लाल रे रूप कला गुण शोचती, चाले गजगति चात ॥ साल ॥ १ ॥ जुबो विपम गति कर्मनी ॥ ए श्रांकणी ॥ कोणे कती न जाय ॥ ला० ॥ कर्मवशे सद्ध जीवडा, सहे सुख दुख समुदाय ॥ सा ॥ जुवो ॥ २ ॥ श्रीदत्ता दुइ कर्मयी, दोपाक्रांत शरीराला ॥
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