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मुफ तुं नाव व ॥ २० ॥ पण ते कोण गणतीमा ॥ २॥ पूर्वढाला
स्थत जैनकथा रत्नकोष नाग आठमो. राजेनोक्तं ॥ नई शृणु ॥ अहमवि उरकं पत्तो, अहमवि उरकस्स निग्गह समबो॥अहमवि उहिए मुहिन, ता अम्ह कहिलए सुरकं ॥ २॥ पूर्वढाल ॥ सा कहे सऊन ते जुवा ॥ गुण ॥ तुं कोण गणतीमांहे ॥ ली० ॥ श्राज्य सुगंध घणो दुवे ॥ गुण ॥ पण तेलने शो गुण थाय ॥ ली० ॥ ७ ॥ केम मुज तुं नवि लेखवे ॥गुण॥ श्यो अवगुण तें दीवाली॥ ते कहे बालक वेशमां ॥3॥ शुं तुमथी होवे इहली॥ ए ॥ कहे वत्स शुं न हणे धरा ॥ गुण ॥ तम ऊगंतो सूर ॥जी॥ नहानो पण हरिनो शिशु ॥ गुण ॥ नांजे मातंगपूर ॥ली ॥ १० ॥ शुं चिंतामणि नानडो ॥ गु० ॥ न करे दारिश दूर ॥ ली ॥ दीपक दीसे वालु ॥ गुण ॥ पण करे तम चकचूर ॥ली ॥ ११ ॥ एम नहानामां गुण घणा ॥ गु॥ तेम मुझने पण जाण ॥जी॥ बोली हसीने नामिनी ॥ गु० ॥ सांजल चतुर सुजाण ॥ ली ॥ १२ ॥ ए नयरीमांहे वसे ॥ गु०॥ मुफ पियु पुरुप रतन्न ॥ ली ॥ विण अपराधे नरेश्वर ॥ गु० ॥ शूलीय विध्यु ए तन्न ॥ ली ॥ १३ ॥ लेावी घृतपूरने ॥ गु० ॥ पियुमूख देपण काज ॥ ली० ॥ हाथ न पहोंचे माहरो ॥ गु०॥ रोचं तिण कारण आज ॥ ली ॥ १५ ॥ कहे वत्स संतशिरोमणि ॥ गु०॥ चढ मुफ कपर खंध ॥ ली० ॥ पूर समिहित ताहरूं ॥ गु० ॥ मुफ उपकारनी संधि ॥ ॥ ली० ॥ १५॥ वाली कबोटो परें । गु० ॥ गंची चढी विकराल ॥ ली० ॥ बेदे आमिपपिंमने ॥ गु० ॥ हाथ लई ते पालि ॥ली ॥ ॥ १६ ॥ ऊर्ध्व विलोके वत्सजी ॥ गु० ॥ दीतुं कुचेष्टित तास ॥ ली ॥ खड्ग खेंची कहे रंभिके ॥ गु० ॥ किहां जाइश हवे नाशि ॥ ली॥ १७ ॥ उंची उमंतां जेहनां ॥ गु० ॥ परिधान चीवर हाथ ॥ ती० ॥ रहियां ते नाशी गई॥ गुण॥ पापिणी जेम अनाथ ॥ ली०॥ १७ ॥ धनरथ जिनने एहवे ॥ गु० ॥ पूजे प्राणी कोय ली॥ नगवंत कुए ए कामिनी ॥7॥ कर्म करे गुण खोय ॥ती० ॥ १ ॥ कहे प्रलु देवी उष्ट ते ॥ गु० ॥ नर बलवाने अधर्म ॥ ली० ॥ करे अहोनिश शंके नहिं ॥ गु० ॥ कर ती एहवां कर्म ॥सी० ॥ २० ॥ कहे प्रनु जरुण नवि करे ॥ गु० ॥ मांस एह सुर जात ॥ ली ॥ पण क्रीडा ए तेहोनी ॥ गु० ॥ जाणे नर सादात ॥ ती ॥ २१ ॥ वत्सराज ले वस्त्र ते ॥ गुण ॥ आव्यो