________________
श्री शांतिनायनो रास खंम पांचमो. १ ताम्रकलश अनिधान ॥ रा० ॥ वीजो वेदु निज युना, थया स्वामी बलवान ॥ रा० ॥ वा० ॥ १६ ॥ हो ॥ एक दिवस तटिनीतटें, अटता दोय अमन ॥राण ॥ पडिया युद्धनी लालचें, नडिया ते जेम मन ॥ राण ॥ वा ॥ १७ ॥ हो ॥ पूरववैरें प्रेरिया, रोप चढ्या मदवंत ॥ रा० ॥ वींधाणा दंतोशलें, 'वेगु ते पास्या अंत ॥ रा० ॥ वा ॥ १७ ॥ हो ॥ नयरी अयोध्या कंपन्या, दोय सैरन नदंम ॥ रा ॥ नांदीमित्रने मंदिरे, शिंगाला परचम ॥राण ॥ वा ॥ १७ ॥ हो ॥ राजकुमरें ते संग्रह्या, वेदु लडाव्या ताम ॥रा॥ मरण लमु रोपें नखां, जोजो वैरनां का म ॥रा ॥ वा० ॥ २० ॥ हो ॥ तेहिज नयरमां ऊपन्या, दोय घेटा दृढकाय ॥ रा० ॥ नडता ते शृंगायगुं, निधन लह्या तिण नाय ।। रा॥ वा ॥१॥ हो ॥ कुर्कुट ए वेहू थया, प्रव नवने वैर ॥ रा ॥ रोपा रुण नयणां करी, यु६ करे एणि पेर ॥ राम् ॥ वा० ॥ ॥ हो । तेमाटे वेदुमांहीयी, कोइ न जीत्या जाय ॥ राम् ॥ वैर वधारयां जव नवें, आवी यामां थाय ॥ रा० ॥ वा ॥ २३ ॥ यतः ॥ वैरं विश्वानरो व्याधि, विपया व्यसनानि च ॥ महानाय जायंते, वकाराः पंच वर्धिताः ॥ ५ ॥ हो ॥ पंचम खंमें सोहामणी, वीजी ढाल विचार ॥ राम् ॥ वैर . न कीजें कोयु, समजानो ए सार ॥ रा० ॥ वा ॥ २४ ॥ ७० ॥ ५ ॥
॥ दोहो सोरती ॥ ॥ कहे मेघरथजी कुमार, धनरथजीने श्रादरें ॥ तात कयुं ते सार, वीजें पण कारण इहां ॥१॥ दोहो ॥ केवल वैर नहिं हां, वे वीजुं पण हेत ॥ कढुं पिताजी सांजलो, ते तुम्हने संकेत ॥ २ ॥
॥ ढाल त्रीजी ॥ . ॥ मोरा साहिब हो, श्री शीतल नाथ के ॥ ए देशी ॥ इह जरतें हो वरतें वैताढ्य के. नयर सुवर्णनान नामथी ॥ श्रेणि उत्तरें हो खेचर शिरदार के, गरुडवेग ने गुजमति ॥ १ ॥ तस अंगज हो चंद सूरथी दोय के, तिलक पदें तोह्यामणा ॥ जिनपडिमा हो सुरगिरिने ट्रक के, नमवा चाल्या दोजणा ॥ २ ॥ मुनि दीना हो तिहां सागरचंद के, चारण श्रमण गुणें नया ॥ प्रामीने हो वेला जइ पास के, सकल कलायें अलं
.