________________
श्री शांतिनाथनो रास खंम पांचमो.
॥ अथ पंचमखंगस्य प्रारंभोऽयम् ॥ ॥ दोहा ॥
1
२१७
|| विहरमान जिन वंदियें, सीमंधर जगवंत ॥ युगंधर वीजा नमुं, अतुली वल अरिहंत ॥ १ ॥ त्रीजा वादु जिदने, हुं नित्य करूं प्रणाम ॥ श्री सुजात स्वयंप्रन वली, कूपजानन गुणधाम ॥ २ ॥ अनंतवीर्य सूरि प्रनो, श्री विशाल जिनराज ॥ वज्रधर चंदनन नमो, चंवादु शिवकाज ॥ ३ ॥ श्री जुजंग ईश्वर विलु, नेमिप्रन वीरसेन || महान देवजस जयो, अजितवीर्य नसे ॥ ४॥ ए वीशे बंदी विभु, रचणुं पंचम खंग ॥ कान देइ श्रोता सुणो, ए संबंध खंम ॥ ५ ॥ जव दशमो श्री शांतिनो, सुतां मंगलमाल || निश विकया परहरी, निसुपो य उजमाल ॥ ६ ॥ जिनगुण सांभलतां थकां जन्म होय सुपवित्र ॥ बोधिवीज निर्मल करे, मुनिजन कहे महंत ॥ ७ ॥
3
॥ ढाल पहेली ॥
॥ माली केरे वागमां, दोय नारिंग पक्के लो || दो० ॥ ए देशी ॥ जंबुपूर्व विदेहमां, पुष्कलावर विजया लो || अहो पुष्कलावर विजया लो || नयरी तिहां पुंमरिगिणी, दीपे प्रति विजया लो ॥ अहो० ॥ दी० ॥ १ ॥ लाब वसे वासो जिहां, सुख संपत्ति सघली लो ॥॥॥ चोराशी वाजारनी, दीपे कृति सबली लो ॥ णादीना ॥ तिहां राजे राजेश्वरु, घनरयजी नामें लो ॥॥॥ यरिहंत पदवीयें उपन्या, सुर नर शिर नामे जो ॥ ॥सु०॥ ॥ ३२ ॥ ग्रडहिय सहस लक्षण धरे, अंगें प्रति वारु लो ॥॥॥ अंतर लक्षण यति घणां, दीपे दीदारु रे लो ॥ णादी० ॥४॥ तस गृहिणी दोय सुंदरी, प्रीतिमती पहेली लो ॥ च० ॥ प्री० ॥ वीजी मनोहरी मानिनी, पियु नेहें घहेली लो ॥ ० ॥ पि० ॥ ५ ॥ हवे वज्रायुधजी चवी, प्रीतिमती नी कूखें जो ॥ ० ॥ प्री० ॥ मेघ सुपनसूचित सही, यवतरिया सदखें तो ॥ ॥ ६ ॥ स्यनुपनें सूचित नलो, सहस्रायुध यायो जो ॥ ० ॥ स॥ मनोहरी उयरमां उपन्यो, पुण्यवंत सुहायो लो ॥०॥ पु० ॥ ७ ॥ पूरण का पुत्र दो, दोय राणीयें जावा लो ॥ ० ॥ दो० ॥ उत्तम लक्षणें पता, कंचनवर्णकाया जो ॥ अ० ॥ कं ॥ ८ ॥ माचतणां मन मोहता,
२८