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श्री शांतिनायनो रास खंग चोथो.
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११ ॥ ए तरु उपर बेसीने, चालीजें व्याकाश ॥ जीव्यापें जोयुं ननुं, पुरीजें मन व्याग ॥ १२ ॥
॥ ढालवावीशमी ॥
॥ नोली नावजजी नावज महारी जात रंधाव्य, सेने मारुजी हो जात मंगावीयो जी ॥ ए देशी || सुणि वाणी जी वाणी सुपि ते पुण्य सार, मनडानी मांहे हां प्रति दर्पित हुई जी ॥ गुणखाली जी गुण खाणी ए देवी रे दोय, भाग्यें मनी मुकने चरिज जुने जी ॥ १ ॥ हवे जोवं जी जोवं रे हवे कौतुक बात, तेह जोनं वल्लनीपुर केहवो जी ॥ जोनं शे उने जी शेठ किस्यो धनवंत, कुमरे विचार कस्यो मन एवो जी ॥ २ ॥ दो देवी जी देवी की हुंकार, तेह वडपादप चाल्यो अंबरे जी ॥ as कोटर जी बडकोटर पुण्यसार, रह्यो रे प्रभुजीनुं समरण करे जी ॥ २ ॥ जो इहांयी जी जो इहांथी पहुं रे निर्धार. तो रे चेतन ताहरी गति श्री दुबे जी || शी चिंता जी रे जी रे चिंता एह योग, मजे तस जब प्रभुजी सहामुं जुबे जी ॥ ४ ॥ ऋणमांहे जी रे कृणमांहे ततकाल, ते चलनीपुर वन वढ प्रावीय जी ॥ दोष उतरी जी रे दोब उतरी देवी सुरंग, नवल free an aratवो जी ॥ ५ ॥ दी चाली जी रे चाली हो रमऊम गत, बात करती हो हसि हमि प्रेमनी जी ॥ तल पूर्व जीरे तल पूर्वे पुण्य सार चालो हो वानो जवतनु तवी बनी जी ॥६॥ लंबोदर जीरे लंबोदर हार, वैदिक परमप तिहां रच्यो जी ॥ सदु मनियां जी रे मनियां हो साजन, नव नव रंगे होरस सबली मच्चां जी ॥ तिहां कम हो जी तहां कुमरी हो सोने ने सात, मनुं सुरलोकयी यसरी कतरी जी॥ति को जी सोह गाये सोहला गीत दर्प हेज लिये बहुलो जी ॥ ॥ मंगनी होजी पनी रे पास, ते नारी जाती देखी रे चिस कम्पं जी ॥ पूर्वपूर्व दीव तेह कुमार, तिरखे दो ग्ढ लागे मतियो जी ॥ ॥ तुम्हें याव जी रे न्यावी महारे यांग थान, रजक तुमने कर जोन जी ॥ इति बोलो जी बोलो श्रम साथ बात कर मद मोडीने जी || : ॥ वैमारी जो दो वैलारी मानक एम निति जी ॥ संबोदरजी को संबो पत्नीति जी ॥ ११ ॥ एम कहने को जीएम