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जैनकथा रत्नकोप नाग आठमो.
कीधुं काम शत्रुनुं जी ॥ ७ ॥ जाउँ हो राजा जावं हो मित्रनी पास, सुखी यो हो राजा सुखीयो थाइश तस संगें जी ॥ चिंती हो राजा चिंती हो चाल्यो कवी, पडियो हो राजा पडियो चोर कुसंगतें जी ॥ ८ ॥ काली हो राजा काली गया निज पाल, जोजो हो राजा जोजो एम जावी नडे जी ॥ सां नरे हो राजा सांजरे ताहरो प्रेम, मनमां हो राजा मनमां महोटे स्वरें रडे जी ॥ ए ॥ वेच्यो हो राजा वेच्यो हो निल्लें तेह, लीधो हो राजा लीधो एक व्यवहारीये जी ॥ यापद हो राजा यापद पडी तस एम, निसुली हो राजा निसुणी दीये नवि हारीयें जी ॥ १० ॥ कीधां हो राजा कीधां न टूटे कोय, जाणी हो राजा जाणी कर्म न कीजीयें जी ॥ साचो हो राजा साचो एक जिनधर्म, जेहथी हो राजा जेहथी शिवसुख लीजीयें जी ॥ ११ ॥ तिहांथी हो राजा तिहांथी हो पारसकूल, चाव्यो हो राजा चाल्यो वणिक तस लेने जी ॥ वचमां हो राजा वचमांहे यावी नके ण, रातें हो राजा रातें रह्यो सुख वेइनें जी ॥ १२ ॥ वंधण हो राजा वंधण बोडी तुक, नागे हो राजा नागे हो मित्र नयरी नगी जी ॥ खाजें हो राजा खाजें थने तेह, पेसे हो राजा पेसे होंश घरनी घणी जी ॥ १३ ॥ सुणजो दो राजा सुराजो हो तेणें प्रस्ताव, नयरमां हो राजा arrai airat aय घणो जी ॥ बानो हो राजा बानो फरे कोटवाल, क रडो हो राजा करो हो अमल तेह तपो जी ॥ १४ ॥ काल्यो हो राजा फाल्यो ते ततकाल, जाएयुं हो राजा जाएयुं हो चोर ए आकरो जी ॥ वांध्यो हो राजा बांध्यो मयूरनें बंध, कीधो हो राजा कीधो प्रहारें जाजरो जी ॥ १५ ॥ सोंप्यो हो राजा सोंप्यो शेठनें ताम, कीधो हो राजा कीधो दु कम महोटो घणो जी ॥ दिप्रा हो राजा दिप्रातटें वडवृछ, बांधी हो राजा बांधी ए अपराधी हणो जी ॥ १६ ॥ काव्यो हो राजा फाली चव्या नर तेह, चिंते हो राजा चिंते हो मनमां तिए समे जी ॥ साधुं हो राजा साधुं वयण ययुं तेह, नांख्युं हो राजा नांख्युं शर्वे जे पूरवें जी ॥ १७ ॥ जाणी हो राजा जाणी जिहां तिहां जाउ, जावी हो राजा जावी किहां छूटे नहीं जी ॥ कीजें हो राजा कीजें हो कोडि उपाय, कडवां हो राजा कडवा हो कर्म नडे सही जी ॥ १८ ॥ यक्तं ॥ विभवोनिर्धनत्वं च, बंधनं मरणं तथा ॥ येन यत्र यदा लव्धं, तस्य तत्र तदा भवेत् ॥ १ ॥