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________________ ४१७ जैनकथा रत्नकोष नाग सातमो. विषे घणुंज साहस बे, जे पुरुषने व्यसनना धाववाथी दीनपणुं यातुं नथी, तथा जेने घणीक लक्ष्मी थावाथी मद यावतो नथी, जेना हृदयने विषे घणुं साहस छे, ते पुरुषने घेर, लक्ष्मी जे बे, ते निवास करीने रहे बे ने हे साहसिक ! वली या तमारा सथवारा प्रमुखनो शोध करवा गयेला या मारां माणसो पण कहे ते, के माल सहित तमारो मित्र तथा सथवारो या पर्वत फरीने वीरपुर गया बे. तो हे जाइ ! ते वीरपुर ढुं तमोने थोडा वखतमां तेनी पेठें पर्वत फरया विना पगरस्तेज पहोंचडावीश ? ते वचन सांगली गुणधर बोल्यो, के हे बंधो ! हाल ज्यारें तमारी जेवा मने सु सहायक मल्या बे, त्यारे मारे विषाद थवानो क्यां अवकाश बे ? युंके, संसाररूप विषम एवा विषवृने अमृत फल तो बेज लागे लांबे, तेमां एक तो सुजननो समागम थाय ते, तथा वीजुं वीतरागना धर्ममां प्रीति राखवते. यावुं वचन सांजली पत्रिपति कहे बे के हे जाइ ! हाल तमोयें कयुं के मने तम जेवा सुज्ञ सहायक मव्या. तो हे सुझ ! जंगलमां रहेनारा तथा मनुष्यने लूंटनारा श्रम वनेचरोमां ते वली सुझत्व केवुं ? त्याऐं गुणधर कहे बे के जुन सर्पना माथापर रहेलो जे मणि बे, तेमां विषा पहारत्व नयी शुं ? ना बेज. अर्थात् ते मणिनो निवास तो सर्पना मस्तकपर बे, परंतु ते मणि, सर्पविषनो नाश करे बे. तेम तमो रहो बो, तो वनमां, पण सुइत्व घणुंज बे. या प्रमाणें ते पल्लिपतियें ते गुणधरनी साधें स्ने हाला करी तथा बीजा पण विनोद करी केटलाएक दिवस ते गुणधरने पोताने घेर राख्यो. पढी ते गुणधरें त्यांथी जवा माटे रजा 'लीधी, त्यारें पत्रपतियें कयुंके हे कुमार ! तमें मारा अतिथि हो, माटे या एक रसनुं तुंबडुं बे, ते व्यो. अने हे नाग्यशालिन ! जुन या रसमां एवो चमत्कार बे, के या रसनुं एकज टीपुं, जो हजार मणना त्रांबाना अथवा लोढाना पत्रा पर नाखीयें, तो ते सर्व पत्रुं सुवर्णमय थ जाय ? तेथी जो कदाचित ते साथ तमोनें न मले, तो या रसथी त्रांबानुं सुवर्ण बना वी सुखें करी घेर पहोंचजो अने हवेथी धनोपार्जननो व्यवसाय बोडी देजो. वली हे जाई ! मारां माणसो तमने जे रस्तो बतावे, ते रस्तेज चाव्या जाजो, तेथी वीरपुर यावशे अने त्यां तमारा साथ वगेरेनो तपास करजो. जो ते साथ त्यां गयो हशे, तो तो तमने मलशे ? एम
SR No.010252
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1892
Total Pages517
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size66 MB
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