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________________ पृथ्वीचं अने गुणसागरनुं चरित्र. २४१ आव्यो अने ते राक्षसना पादप्रहारथी खंमित थयेली गिरिनी टुकोना कांकरानो तथा राक्सनो शब्द सांजली कांक जय पामीने तेणे पावं वाली जोयुं, त्यां तो दृढमूतीमा राखेली जे औषधि हती, ते तत्काल नडी गइ, तेथी खेद पामी कापडी पासें आवीने बनेलुं सर्व वृत्तांत कह्यु. ते सांन ली कापडी बोल्यो के हे नाइ! तारामांसाहस तथा व्यवसाय, ए बेतु वानां तोडे,परंतु पूर्वोपार्जित पुण्य नथी माटें ते पुण्य विना बेदु वानां निष्फल थाय ने, एटलंज नथी, पण उलटा अवलां थाय ले. तेथी तुं हवे तृथा न द्यम करवाथी निवृत्ति पाम. केम के तें उद्योगो तो घणा कस्या, परंतु हीनपुण्यने लीधे तुने सुखने बदले पुःख उत्पन्न थाय बे,माटे संतोष राखी घेर जा. उद्योग तथा साहस करी वृथा फुःखनु नाजन ते शा माटे थाय ने ? एम ना पाडी तो पण अत्यंत तृष्णावंत एवो ते गणधर शेत, त्यांथी पाबो को एक महालय नामा गाम हतुं, त्यां आव्यो अने त्यां कोई परिवा जक रहेतो हतो तेने मल्यो, अने तेने पोताना सर्व दुःखनी वात कही ब तावी. पनी परिव्राजक बोल्यो के कोश्क ठेकाणे रातो थोर होय, तो जो. जो ते थोर मले, तो तेथी तारुं दुःख हूं हां. त्यारे गणधरें का के तमो पण चालो. तमारा विना ते काम बराबर बनशे नहिं अने आपण वेदु मलीने ते काम करिये? एम वेराव करी बेदु जण शोधवा गया अने शोधतां शोधतां ते पूर्वोक्त थोर मल्यो. पठी उत्तम योगवालो दिवस जोइने परिवा जकें ते थोरने मंत्र्यो. पनी एक कुंम बनावं ते कुममा अनि सलगाव्यो. हवे जे थोरनो नारो हतो, तेने उत्तम काष्ठोथी वीटयो,अने काष्ठ सहित ते थोरना नाराने गणधर शेउने माथे मूक्यो ने कुंममां होमवाने माटे तेना हाथ पकड्या, त्यां तो ते गणधरें जाण्यु जे अरे! आ तो मने होमवो धारे ले ? तेथी जोर करीने परिव्राजकना हाथमांथी बटकी तेनेज कुंझमां नाखवा तैयार थयो. एम एक बीजाने कुंभमां नाखवा माटे प्रयास करता तेने कोइएक गोवालीये जोया, ने तेणें पोकार कस्यो के अरे नाश्यो! बाहिं कोक वे जणा परस्पर एक बीजाने अग्निकुंममां नाखवा माटे लडे जे ? ते शब्दने या हेडीयें आवेलो कोइ राजकुमार हतो, तेणे सांजव्यो के तुरत ते त्यां श्राव्यो, अने तेणे बेतु जणने माहोमांहे क्वेश थवानुं कारण पूज्युं. त्यारेते गणधरें बने ऱ्या सर्व वृत्तांत कयुं ते सांजली राजकुमारे जाण्यु जे सर्व वांक ा कापडीनोज
SR No.010252
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1892
Total Pages517
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size66 MB
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