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________________ २२७ जैनकथा रत्नकोष नाग सातमो. लाग्या, अने आज्ञा पण मानवा लाग्या. पड़ी चोशठ हजार स्त्रीयोना नोग तथा पुण्योदयें करी चक्री पदना नोग जोगवता बोहोंतेर लाख पूर्व वर्ष गया. हवे ते प्रिंयंकर चक्रीने बीजा घणा प्रधान ने तो पण मतिसा गर समान वीजा कोई उपर प्रीति नथी. ॥ यतः॥ मातंगा नैव तुंगास्तुरग रथवरा नैव सामंतयोधा, नांमागारं न रत्नान्यथ नवनिधयोनैव दारा उदाराः॥गीतं नृत्यं तथा नो ध्वनउरुमरुजं नैव राज्यं न राष्ट्रो, दृष्टो रुष्टोपि दृष्टिं सचिव इव तथा तस्य दृष्टिं विधत्ते ॥१॥ अर्थः- हाथी, घोडा, रथ, सामंत, योधा, नंमार, रत्न, तथा नवनिधान नदार रूपवंती स्त्रीयो, गीत, नृत्य, मृदंगध्वनि राज्य, देश, ए को वनन नथी हर्पित तथा शोकवान थया थका पण जो प्रधान पर दृष्टि पडे तो तेने बीजं जोवंज गमे नहिं अर्थात् तेमने जेवो मतिसागर प्रधान वनन ने, तेवं बीजं वजन को नयी. हवे प्रियंकर राजानो ते मंत्री उपर देवगुरुनी पेठे स्नेह , नाश्नी पेठे हितार्थपणुं बे, अने सर्व राज्यनुं अधिकारिपणुं ते मंत्रीने हाथें सोंपेखु . ते चक्रीराजा पोताना जीव समान एनेज जाणे जे. एम अत्यंत स्ने ह जे. एकदा राजा तथा प्रधान हर्षवंत थया थका विचरे में, तेवामां एक वातनी वेदु जाने चिंता उपनी,ते केवी रीतें? के जे आपण बेदुने महो मांहे अत्यंत स्नेह , ते गुं पूर्व नवनो हशे ! के आज नवनो! कारण के आ नवमां स्वामी सेवकनो स्नेह एवीरीतें कोश्नो जोयो नथी? एतो कोई पाउला नवनी प्रीति दीसे बे, माटे कोइक ज्ञानी पुरुष मले तो या वात नो संदेह टालीये. एवो विचार करे . एटलामां सुप्रननामा तीर्थकर तेज नगरीनी बाहार नद्यानमा यावी समोसया. बत्रत्रय बिराजमान,ना मंमल केवलझाने करी टाल्या ने अंधकार जेणे एवा अने जेनी आगलें ध मंचक्र चाले बे, सिंहासन, चामर, बात माहाप्रातिहार सहित देव इंदनि ने नादें करी जगतगुरु नव कंचनना कमलें करी विहार करता बहुमुनि परिवाशुं परिवस्था. दिव्य समोवसरणे आवी समोसस्या. जव्य जीवने प्रतिबोध देता एवा प्रनु आव्यानी वधामणी ज्यारे ावी, त्यारे ते वधा मणीयाने वस्त्र आनूषण आपी ने विसर्जन कस्यो. हवे राजा तथा प्रधान बेदु हर्षवंत थइ साडी बार कोड धननु ठेकाणे तेकाणे दान आपता सर्व परिवारगुं तथा चतुरंगी सेना सहित प्रचुनें वांदवा गया. त्यां प्रचनां
SR No.010252
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1892
Total Pages517
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size66 MB
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