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श्रीभुवननानु केवलीनो रास. ॥ ढाल ॥ एकोत्तरमी ॥
॥ मारुजी हो खवर नदीरे माहरी बेहेनडी हो राज || ए देशी ॥ राजा जी हो त्यारे कहे रे तेह केवली हो राज ॥ मनुष्य देवेंपुर एक ॥ सहाय लहोने राज, संसारीने ॥ स० ॥ अवतारीने ॥०॥ सहुकुं समकित
सुखदाय ॥ ० ॥ टेक ॥ रा० ॥ इंड्पुरें रे तेह कपनो हो राज || विश्व थकी व्यतिरेक ॥ स० ॥ १ ॥ रा० ॥ समीरण नामें रे नृप सोहे तिहां हो राज, जयंति नामे तसु नार ॥ स० ॥ रा० ॥ कर्म नृपें लई ते जीवने हो राज ॥ तेहनी कूखें दियो अवतार ॥ स० ॥ २ ॥ रा० ॥ पूरे मासे रे जनम्यो ते यदा हो राज || अरविंद तेहनुं निधान ॥ स० ॥ रा० ॥ थयो रे सहु कलाधरु हो राज ॥ निरुपम सुगुण निधान ॥ स० ॥ ॥ ३ ॥ ० ॥ तव तरुण ते थयों रे तेहने ते समे हो राज ॥ अवसर ल "ही रंग || स० ॥ रा० ॥ उद्यानमांहि आणि मेलिन हो राज ॥ कर्म नृपें गुरु संग ॥ स० ॥ ४ ॥ रा० ॥ मोहें नमी रे ते मुनींइने हो राज | ते कुमर बेठो तिहां पास ॥ स० ॥ रा० ॥ तव कर्म नृपें रे तेहने यापि हो राज || खडग वारु एक खास ॥ स० ॥ ५ ॥ रा० ॥ अध्यवसाय रे अ ति सुंदरु हो राज || तदरूप ते करवाल ॥ स० ॥ रा० ॥ मोह यादि रे शत्रु सातना हो राज || स्थिति रूप तनु ति ताल ॥ स०॥ ६ ॥ ० ॥ सागर संख्याएं रे तव बेद्यां ति हो राज || तेदुनां तनु केटला एक तेह ॥ स० ॥ रा० ॥ तेहने योग्य जाणीने तव ते साधुएं हो राज || निर्मल धरी मननेह ॥ ० ॥ ७ ॥ रा० ॥ सम्यक् दर्शन रे ते मंत्रीसरु हो राज ॥ धरपति जे चारित्र धर्म ॥ स० ॥ रा० ॥ खागल थकी ते बन्हे मेलव्या हो राज || जे सेव्या खापे शिव शर्म ॥ स० ॥ ८ ॥ रा० ॥ सर्व विरति रे नामें सुंदरी हो राज || सालंकारा सुवेश ॥ स० ॥ रा० ॥ दिव्य देखाडी गु ए दाखवी हो राज || ते मुनिएं धरि मोह अशेष ॥ स० ॥ ए ॥ रा० ॥ राज कुमरें रे तव रीजिने हो राज || सर्व विरति वरी वेग || स० ॥ रा० ॥ सुगुरु समीपें व्रत नचयां हो राज ॥ शुद्ध धरी संवेग ॥ स० ॥ १० ॥ रा० ॥ दीक्षा महोत्सव रे कीधो दीपतो हो राज || उदय वदे मनोहार ॥ ॥ स० ॥ श्रोताजी हो एकोतेरमी ढालें तातें सही हो राज || नित मु निने नमो नर नार ॥ स० ॥ ११ ॥
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