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श्री भुवननानु केवलीनो रास.
१. ज्य
॥ ढाल सोलमी ॥
॥ जरमर वरशे मेह हो राजा परनाले पाणी पडे महारा लाल || ए दे शी ॥ मिथ्या दर्शन नामें हो राजा, मंत्रीसर इम सांजली, महारा लाल ॥ ताली जे प्रज्ञानने हाथ ॥ हो० ॥ मुखं तव बोल्यो मन रली ॥ मा० ॥ १ ॥ अहो ननुं थयुं एह ॥ हो० ॥ घी ढल्युं खीचडी ऊपरे ॥ मा० ॥ या न लोपे कोई ॥ हो० ॥ सेव ते अमरतणें घरें ॥ मा० ॥ २ ॥ माथे लई ते माटे || हो || काम ए में करवूं सही ॥ मा० ॥ इम करतां जो कां ॥ हो० ॥ मुथी निपजशे नहीं ॥ मा० ॥ ३ ॥ तो अनंत तमारे यो ध ॥ हो० ॥ एक एकथी बलिया घणुं ॥ मा० ॥ रसग्र६ यादी रौ ॥ हो ० ॥ अद्भुत दल बलातणुं ॥ मा० ॥ ४ ॥ तेहवो हुं नहि बलवान ॥ हो० ॥ जेह बल ने एहनुं ॥ मां० ॥ पग पग पाडे वाट || हो० ॥ मुह नव राखे हनुं ॥ मा० ॥ ५ ॥ स्वामी वडें संसार ॥ हो० ॥ अथवा बल दाखे सहु ॥ मा० ॥ तो माहारां वखा ॥ हो० ॥ श्ये कारणे बोल्यो ब दु ॥ मा० ॥ ६ ॥ तेहवें तिहां तरुणी एक ॥ हो० ॥ चिंतव्या मोह मंम पतनें ॥ मा० ॥ क्कीवसुं करती कलोल ॥ हो० ॥ बेठी बे बाहेर नूतनें ॥ मा० ॥ ७ ॥ ते मंत्रीना सुणि बोल ॥ हो० ॥ अट्टहासे ते हसी ॥ मा० ॥ क्की करे ततकाल ॥ हो० ॥ ताली लेईने नल्लसी ॥ मा० ॥ ८ ॥ तव विस्मित मोह नरिंद || हो० ॥ कठी श्राव्यो बाहिरें || मा० ॥ तिहां विपर्यय समुह श्रासने || हो० ॥ बेसी बोल्यो इलि परें ॥ मा० ॥ ए ॥ कहे वत्से तूं केम, हे नरे ॥ ए क्लीव में हसी इहां ॥ मा० ॥ तव प्र एमी तसु पाय || हो० ॥ तरुणी ते बोली तिहां ॥ मा० ॥ १० ॥ देवा सहुने दुःख ॥ हो० ॥ जालम हुं बुं योगिणी ॥ मा० ॥ वाहनांना पाहुं वियोग || हे० ॥ हुं आपदा इष्ट वियोजनी ॥ मा० ॥ ११ ॥ ए मरणना में महा योध ॥ हो० ॥ पंमक पराक्रमनो धणी ॥ मा० ॥ गणे त्रिभुवननें तृण मात्र ॥ हो० ॥ सूरो सुनट शिरोमणी ॥ मा० ॥ १२ ॥ इंशदिक माने खाण ॥ हो० ॥ अलंघ्य शासन एहनुं ॥ मा० ॥ धिंगी वे एहनी धाड ॥ हो० ॥ जगव्यापक बल जेहनुं ॥ मा० ॥ १३ ॥ जन बाल वृद्ध यु वान ॥ हो० ॥ उलखे एहने सदु ॥ मा० ॥ प्रभु प्रसादें एह || हो० ॥ बल धरावे वे बहु || मा० ॥ १४ ॥ उदय रतन कहे एम ॥ हो श्रोता ॥
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