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श्रीनेमिनाथनो रास खंमत्रीजो.. Igu पारी रोवे घj, अमचुं महा अनाग ॥ धारिका मूकी आवीया, बहुला ला नने राग ॥ ४ ॥ जीवजसा पूजे तदा, धारिका नयरी कोण ॥ राजा पण तिहां कोण , तव बोले ते वयण ॥ ५ ॥ देवें कीधी हारिका, तिहां कृष्ण माहाराय ॥ तव रोती नारी कहे, जीवे यसमुदाय ॥ ६ ॥ तेह जरासंधे सुण्यु, काल कंसर्नु वेर ॥ संजारी सेनापति, तेडी कहे इणि पेर ॥ ७॥
॥ ढाल चोथी॥ ॥लाल पीयारीनो साहिबो रे ॥ ए देशी ॥ मंत्री मोरारे ॥ अर्धनरत ना सदु राजवी रे, तेडो मूकीने दूत राज ॥ जय यादव उपरें रे, हणीयें वसुदेव पूत राज॥ १॥ पुण्य प्रमाणे सद् नीपजे रे ॥ए यांकणी॥मंग॥ बद् मंत्रीश्वर वारता रे, चलितगलित मति तेह राज ॥ दक्षिण जानु उपाड तां रे, बीक करे जे संदेह राज रे॥ पु०॥ ॥मं॥ श्याम बिल्लाडी आ डी फरी रे, चढतां गजवर खंध राज ॥ त्रूटो हार सोहामणो रे, पडियो मु कुट शिरबंध राज॥ पु० ॥३॥ मं०॥ तूरशब्द विरसो दुवे रे, वाजे प्रचं म वाय राज ॥ जेहथी नगि उपजे रे, कांकरी नमे ते गय राज ॥ पु० ॥ ४ ॥ मं०॥ बत्र ध्वजा दंम जांगीयां रे, हय नड रथ ने तुरंग राज ।। बदु सैन्ये तेह परवस्यो रे, रथना होय तिहां नंग राज ॥ पु० ॥ ५ ॥ मं० ॥ मूत्र पुरीप अंतर नहिं रे, रुधिर विरस पडे त्यांहि राज ॥ विरस शिवा तिहां बोलती रे, गर्दन नूंके ते राहि राज ॥ पु० ॥ ६ ॥ मं० ॥ वाम नयन फरक्युं तिसे रे, शकुन निमित्त श्म वारे राज ॥ मति ज्यारें खशी जे हनी रे, अवलुं मनमांहि धारे राज ॥ पु० ॥ ७ मं० ॥ ॥ नारद आवीने कृमने रे, वात सवे संनलावे राज ॥ नेरी सुघोषा घंटापरें रे, कृष्मजी ति हां वजडावे राज ॥ पु० ॥ ॥ मं० ॥ देव परें सदु राजवी रे, नेला या दव थाय राज ।। उग्रसेनादि बलिया घणुं रे, दश दशार्ह वलि राय राज ॥ पु० ॥ ॥ मं०॥ समुविजय तस सुत आविया रे, महानेमि सत्य नेमि राज ॥ दृढनेमि रथनेमिजी रे, अरिहा अरिष्टनेमि राज ॥ पुण्॥१०॥मं॥ जयसेन ने महाजय जला रे, तेजसेन जयमेघराज ॥ चित्रक गौतम जाणी ये रे, श्वफल्क गाजे ज्युं मेघ राज ॥पु॥११॥०॥ अर्थ ने शिवनंदन रूय डा रे, माहारथ विष्णुकसेन राज ॥ अड सुत संयुत आविया रे, अदो न नाम बहुसेन राज ॥ पु० ॥ १२ ॥ मं ॥ पण सुत स्तिमित ते आ