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________________ ३० जैनकथा रत्नकोप नाग पहेली. नीमुखात देखी लोक पण चमत्कार पाम्यां कुमर पण राजानो था देश पामी निश्चल मनें गुरुना चरणकमलने नमस्कार करी स्थंजनी नजीक ज धनुष्य नमनं कररी तत्काल धनुष्य चढावी तेलनी कढाइमांहे नीची दृष्टियें मुख जोते के उपर बाल क्यो. ते बारों राधानी यां खमांहेली की की वींधी, जेंवी वींधी के तुरत: यांचक लौकोयें जयजयारव कीधो, ने कन्यायें वरमाला घाली. राजा ने मंत्रीश्वर. ए बे हर्ष पा म्या, तिहां सुइदत्त कन्या सहित राज्यलक्ष्मीना सुख पाम्यो. एवी तें कोइ कदाचित् राधावेध साधे, पण मनुष्यनवथी ऋष्ट थयो, ते वली फरीने नरजव न पामे ॥ इति सप्तम चक्रदृष्टांतः ॥ ७ ॥ 1 हवे खामो कूर्मनो दृष्टांत कहे बे:- कोइक एक लक्ष योजन प्रमाण इह बे, तेमां एक महोटो काचो रहे बे. तेणें एकदा प्रस्तावें वायराने योगें सेवाल फूटे थके व्याकाश मंगलने विषे याशु शुदि पूनमनी रात्रें स कलकलायें संपूर्ण नयनानंदकारी, समग्र नक्षत्रें करी बिराजमान एवो चश्मा दोगे. तेथीं मनमां प्रमोद पाम्यो पढी पोताना कुंटुंबने देखाडवा माटें फरी पाएीमां सुबकी खाइने कुटुंबने तेडी लाग्यो, तेटलामां वायराने प्रसंगें सेवाल मांहोमांहे तेमज मली गई तेथी चं दर्शन थया विना एमज याखा • कुटुंबने प्रातुं फरवुं पड्युं. 'ते काचो वली पण कदाचित् चंडमा देखे, पण नरजव हारी गयो धर्मविना शिथिल थयो ते जीवं, फरी मनुष्यजन्म न पामे ॥ इत्यष्टम कूर्मदृष्टांतः ॥ ८ ॥ हवे नवमो युगनो दृष्ठांत कहे बेः तिर्यग् लोकमांहे लवण स मुखा दे गए मणां करतां असंख्याता द्वीप समुइ के, तेमां बे हलो स्वयं रमण समु राज्य प्रमाण भूमि संधी रह्यो बे, तेनों पू वैदिशियें घरेंसर नाखीयें घने पश्चिमदिशियें खीजी समील नाखीयें तो कहो तें पाठी केम मले ? अथवा ते समील धोंसराना बिमांहे केवी रीतें प्रवेश करे? कदाचित् 'देव प्रजावथी ते पण धोंसरमांदे खीली मले, पण जे जीव नरजवथको चष्ट थंयो, ते वली फरीने नरजव न पामे ॥ इति नवम युगदृष्टांतः ॥ ९ ॥ *" . ( वे दशमो परमाणुनो दृष्टांत कहे बेः- एक देवतायें महोटा पाषां ना यंजने वजें कर चूर्ण करों तेने अत्यंत पीशी वाटी मेरुपर्वतें
SR No.010246
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1867
Total Pages321
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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