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________________ २२२ जैनकथा रत्नकोष नाग पहेलो. कम्मेण वेयण विमुक्को ॥ पंचिंदिनवि होइ, केणव एगिदिन दो ॥ १० ॥ संसारो कहवि पिरो, केणव कम्मेण होश संखित्तो ॥ कह संसार तरि, सिद्धिपुरं पावए. पुरिसो ॥ ११॥ इति ॥ नावार्थ:-हे नगवन्! (सच्चियनिरयं के)सएवं एठले तेज जीव नरकें केम जाय? वली २ तेहीज जीव स्वर्गे पण केम जाय? वली३ तेहीज जीव तिर्य च केम थाय? वली ४ तेहीज जीव मनुष्य जन्मपण केवी रीतें पामे ? ॥२॥ वली हे जगवन् ! ५ तेहीज जीव पुरुष केम थाय ? ६ तेहीज जीव स्त्री केम थाय? ७ तेहीज जीव नपुंसक केम थाय? वली तेहीज जीव अल्पायुष्य वालो केम थाय ? ए वली तेहीज जीव महोदा यायुष्यवालो केम थाय ? १० वली तेहीज जीव जोगरहित केम थाय ? ११ वली ते हीज जीव, महोटा नोग नोगवनारो केम थाय ॥३॥ वली हे नगवन् ! १२ कया कर्मना उदयथी जीव सौनाग्यवंत पाय ? १३ वली कया कर्ममे योगें जीव उनांगी थाय ? १४ वसी कया कर्मने योगें जीव, (मेहाजुत्तो के०) मेधा जे बुधि तेणे करी युक्त एटले बुद्धिमान् थाय? १५ वली कया कर्मनेयोगें जीव हीन बुदिवालो थाय? ॥ ४ ॥ वली १६ कया कमै करी पुरुष पंमित थाय ? तथा १७ कया कर्मने योगें मूर्ख थाय? तथा १७. कया कर्मने योगें धीर साहसिक थाय? अने १ए कया कर्मने योगें नीरु एटले बीकण थाय? तथा २० कया कर्मने यो गें जरोली विद्या निःफल थाय ? अने २१ कया कर्मने योगें जरोली विद्या सफल थाय? ॥ ५॥ . वली हे नगवन् ! २२ कया. कर्मने योगें प्राप्त थयेली लक्ष्मी जती र हे ? अने २३ कया कर्मने योगें घणी लक्ष्मी प्राप्त थाय ? २४ वली कया कर्मने योगें तें पुरुषने थयेला पुत्रो जीवता न रहे ? २५ तथा कया क मैने योगें घणा पुत्रो थाय ? तेमज २६ कया कर्मने योगेंजीव बहेरो थाय? ६ _वली २७ कया कर्मने योगें ते जीव, जात्यंध थाय? तथा २७ कया कर्मने योगें जीवने जमेलुं अन्न पचे नहिं ? एटले अपचो अजीर्ण थाय? तथा श्ए कया कर्मने योगें जीव कोढ रोगवालो. एटले कोढीयी थाय? अने ३० कया कर्मे करी जीव कूबडो थाय ? तथा ३१ कया कर्मने यो गें ते जीव, दासपणुं पामे ? ॥ ७ ॥
SR No.010246
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1867
Total Pages321
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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