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गर्म प्रवेश के समय जीव को स्थिति के बारे में पत्त करते हुए गौतम ने पृथा-- भगवान् । णा व गर्भ में आते समय न्द्रिय रहित होता है या न्द्रिय सहित? मावान ने कहा- इन्द्रिय सहित भी आता है और इन्द्रिय रहित भो । इसका कारण बताते हुर महावीर ने कहा कि गभाधान के समय जीव के द्रव्येन्द्रियां नहीं होती, भावेन्द्रियां होती है।' व्यन्द्रिया बिना आहार के निर्मित नहीं हो सकतों । इसी प्रकार शरीर के बारे में उपर देते हुए कहा कि औदारिक, वकिय और आहारक शरीर नहीं होता किन्तु तेजस और कामण शरीर होता है । गर्भस्थ जीव के बारे में इतना सुक्ष्म और सैद्धान्तिक विवेचन और कहीं नहीं मिलता ।
इस विषय में आधुनिक शरीरशास्त्रियों की खोज एवं प्रयोग बहुत महत्वपृण है । स्त्री का f/ तथा पुरुष का मिला र २ को शिका बन जातो ६ जिसमें वंशानुगत सभा गुण रहते हैं । उस को शिका के आधार पर ही व्यक्तित्व का निर्धारण होता है। गर्भ के बालों का रंग, आंखें, त्वचा, लम्बाई, ठिगनापन, मोटापन या दुबलापन, मुर्तता या बुद्धिमा, आयुष्य, आ-उपांगों की रचना आदि सभी तत्व उसमें निहित रहते हैं । इस प्रकार वैज्ञानिकों के अनुसार यह प्रथम तण बहुत महत्वपूर्ण होता है ।
१- भगवती, १।३४०-४१
गौयमा । सिय सई दिर वक्फम । सिथ ऑण दिर पक्कमह ।।३४०।। गोयमा । दविंदियाईपहुच्च अणिंदिर वक्कम । मा विदियाई पडुच्च सइंदिर वकामह । तै तेणढेणं गोयमा । एवं वच्चर - सिय सई दिर वकमा । जिय अणि दिर वक्कम ।। ३४१ ।। २- भगवती, ११३४२-४३ गोयमा । सिय ससरोरी वकमा सिय रीरी
वक्कम ।।३४२।। गोयमा । ओरालिय-वेउव्विय-माहारयाई पडुच्च असरी रो वयम । तेया+म्मा पहच्च सररोरी वामा । से तेणढेणं गोयमा ।
एवं पुच्चए-सिय ससरीरी व | सिय अरोरी वम ||३४३।। 3. Mind Alive, P. 37.