________________
शरीर-मनोवैज्ञानिकों का मत -- शरीर-मनोवैज्ञानिकों ने हड्डी के जोड़ या संधियों के बारे में अनुसंधान किया है । सन्धियां (ART I CUL AT I ONS)- शरीर के कंकाल की रचना अनेक अस्थियों से मिलकर होती है । इसमें छोटी-बड़ी , लम्बी चौड़ी, चपटी गोल सभी प्रकार की अस्थियां होती हैं । ये वापस में विभिन्न स्थानों पर जुड़ती हैं जिससे शरीर का स्वाप तयार होता है । जहाँ कहाँ दो या दो से अधिक वस्थियां वापस में जूड़ती है, वहां जोड़ या सन्धि (20INT, JUNCT URE OR OSSIUM) बनती है।
-
-
छोटी --हा अस्थियों के इस प्रकार आपस में जुड़ने से शरीर को गति करने को पामता प्राप्त होतो है।
सन्धियों के भेद-- (K INDS OF 301 NTS)-- रचना के वाधार पर सन्धियाँ को तीन वर्षों में रखा गया है-- (१) सूत्रण-सन्धि (FIBR OUS POINTS) (२) उपास्थि -सन्धि (CART IL AG I NOUS JOINTS) (३) स्नेहक-सन्धि (SYNOVIAL JOINTS). सन्धियों के सात वर्ग-- अभिनव शब्दावली के अनुसार सन्धियों के सात वर्ग है(१) साधारण सन्धि (PLAIN DOINTS) (२) गोलाभ सन्धि (SPHER OID) (३) स्थुन काम सन्धि ( CONDYL AR JOINTS) (४) दीर्घ वृत्तीय सन्धि (ELLIPSOID POINTS), (५) चकक सन्धि (TROCHOID JOINTS) (६) पर्यणिका सन्धि (SELLER 20INTS) (७) कबा वर्षांत कोर सन्धि (1HI NGE- OR-G I NGLYMUS JOINTS) गति के आधार पर सन्धियों का वर्णोरण-- जिस स्थान पर स्थियां
१- शरीर-झ्यिा -विज्ञान, १९८४), पृ० १५६ :
. -डा0 प्रमिला वर्मा, डा० कान्ति पव्यि, -बिहार हिन्दी गन्थ कादमी, पटना ।