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________________ (क) सुडौलकाय-- वे व्यक्ति जो शक्तिवान होते हैं, वे अपनी इच्छानुसार समायोजन कर लेते हैं। कार्य में रुचि लेते हैं वोर इसरी वस्तुओं को चिन्ता बहुत कम करते हैं । (ख) लंबकाय-- इस प्रकार के व्यकि लम्बे और पतले होते हैं । इसरों को निन्दा करते हैं और सनी निन्दा के प्रति सजग रहते हैं। . (ग) गोल काय -- इस प्रकार के लोग मनवृत और छोटे होते हैं, इसरे लोगों के साथ सरलता से मिल जाते हैं । (घ) डायस्पलास्टिक-- इस प्रकार के लोगों का शरीर साधारण होता है । इस प्रकार संस्थान नामकर्म तथा शलड़न बार बनर के वर्गीकरण में अद्भुत समानता दिखायी देती है। संहनन नाम-कर्म-- धवला में लिखा है कि हड्डियों के संचय को संहनन कहते हैं । संहनन नाम कर्म के छह मेद हैं -- १- वज्र कषमता राचसंहनन, (२) ऋषभनाराचसंहनन, (३) नारासंहनन, (४) अर्धनाराचसंहनन, (५) की लिकसंहनन बार (६) सेवासिंहनन (असंप्राप्तसपाटिका संहनन) । वज्र मना राचसंहनन -- जिसके उदय से वज्र के हाड़, कत्र के वेष्टन वोर वज्र की कीलें हों, उसे वाष भनाराचसंहनन नामकर्म कहते हैं । - - - - - - ---- - -- - -- -- -- -- - - -- -- ------------ --- -------- १- धवला, ६१, ६-१, ३६१७३।८: संहननमस्थि संचय, कषमो वेष्टनम, वजवद भेषत्वान कषमः । ववन्नाराच वजनाराच, तो दावपि यस्मिन् व शरीर संहनने तजष भवज शरोर संहननम् । जस्स कम्मस्स उदरण वजहड्डाछ वज्जवेटठेण वैट्ठियाई जणरण ला लियाई वहाँति तं वज्ज रिसहवरणारायण सरीर संघडण मिदि उ होदि ।
SR No.010245
Book TitleJain Karm Siddhanta aur Manovigyan ki Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnalal Jain
PublisherRatnalal Jain
Publication Year
Total Pages171
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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