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६ - हुड-- जिसमें सभी का-उपांग हुड़ की तरह संस्थित हों, उसे हुण्ड संस्थान कहते हैं ।
मनोवैज्ञानिकों द्वारा शरीर-रचना का वर्गीकरण-- लड्न महोदय ने शारीरिक रचना के आधार पर वो करण किया है । इस वर्गीकरण का आधार शेल्डन का शरार-विज्ञान तथा शरो र-विकास-विज्ञान है । उसने ४०० व्यक्तियों का अध्ययन किया है । वगा करण इस प्रकार है -१ (क) कोमल तथा गोलाकार (ENDOMUR PHIC) (ख) आयताकार (MESOMORPHIC) (ग) लम्बाकार (ECT OMOR PHIC)
(क) को मल तथा गोलाकार -- इस प्रकार के व्यकि अत्यन्त कोमल किन्तु देखने में मोटे लगते हैं । ( नका व्यवहार उनकी आन्तों के आन्तरिक शक्तिशाली पाचन पर निर्भर होता है ।
(ख) वायताकार --- ये लोग पू प से शक्तिशाली होते हैं । इनका शरीर मारी व मजबुत होता है, खाल पतला होतो है ।
(ग) लम्बाकार - इस श्रेणी के व्यकि शक्ति ही न होते हैं, किन्तु इनमें उत्तेजन - शीलता अधिक होतो है, जिसके कारण बाह्य जगत में वे अपनो क्रियाओं को शीघ्रता से करते हैं ।
शरीर के प्रकार -- वनर महोदय ने ४०० व्यक्तियों का अध्ययन किया । उनकी शारीरिक रूपरेखा के अनुसार उनको चार वर्गों में विमक किया है(क) सुडौल काय ( ATHLETIC) (ख) लंबकाय (AESTHEMIC) (ग) गोल काय (PYKNIC) (घ) डायसप्लास्टिक (DYSPLASTIC)
१.
.. Sheldon%3 The varieties of Human Physicque,
Harper, New York (1940).