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विप या नकम
-दानआरम्याग-दानम
तमाना......
-16
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2. कर्म की वियित्र गतिः
* मनोविज्ञान के परिप्रेक्ष्य मः ........ 17-27
३. गरीर-संरचना : नाम कर्म -
आधुनिक गरीर-विज्ञान के परिपक्ष्य में..... 28 -66
4. मनोविज्ञान के तन्दर्भ में :
भाग्य को बदलने का तिक्षान्त-संकमकरण ..
67-72
5. कर्मवाद' का मनोवैज्ञानिक पहलू .
....... 73-82