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संवेगों-भावों का मनोवैज्ञानिक वर्गीकरण मनोवैज्ञानिक राबर्ट बुडवर्थ ने कहा -" "यह एक महत्वपूर्ण बात कि विभिन्न भावों और भावधाराओं के लिए मनेक शब्दों का प्रयोग होता है। एक ही शब्द के सैकड़ो पर्यायवाची-समानार्थक शब्दों की खोज करना कोई बड़ा कार्य व म....मनुभव करता हूं इस वाक्य को पूरा करने वाले ये शब्द - सुख- आनन्द, हर्ष, प्रसन्नता, गर्व, उल्लास, दुःख- असंतुष्टि, शोक, उदासी, अप्रसन्नता, खिन्न, प्रमोद- मनोविनोद, आमोद, उत्तेजना- हलवल, शान्त- संतुष्टि, स्तन्यता, रुचि शून्यता, परिश्रान्त, आशा- उत्कंठा, मनोरथ, आश्वासन, उत्साह, संशय- लज्जा, व्याकुलता, आकुलता, चिन्ता, . भय- त्रास, उद्वेग, भयंकर, पयातुर, विस्मय- आश्चर्य, अछुत, अनोखा, अचंभा, इच्छा- अभिलाषा, लालसा, कामना, प्रेम (राग), पराउ.मुखता- अरुचि, पणा, अनिच्छुकता, क्रोध- देष, कोप, उदिग्न, रोष, कला, उपर्युक्त सूची में प्रत्येक वर्ग का पहला शन्द उस वर्ग के सारांश को व्यक्त करता है। इनसे बड़े या छोटे अन्य वर्गीकरण भी किए जा सकते "दो मुख्य वर्गों- राग और देर में सभी भावों का समावेश हो जाता है। शत्रुता का कारण- राग-देष शिष्य बोला- गुरुदेव। एक मोर तो आप इन्द्रियों को परम उपयोगी बता से और दूसरी तरफ उनें शत्रु कहा जा रहा है।
आचार्य ने कहा- . .. - -आविष्टानि यदा तानि, गदेव प्रभावतः।