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५. संज्वलन- जलन या ईर्ष्या की भावना।
६. कलह- अनुचित भाषण करना।
७. चांडिक्य- उग्र रूप धारण करना।
८. भंडन- हाथापाई करने पर उतारू होना
९. विवाद- आक्षेपात्मक भाषण करना
दोष- स्वयं या दूसरे पर दोष थोपना। मान जैन-जगत् में मान के अष्ठ भेद है-इन्हें आठ मर भी कहा जाता है-
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१. जाति, २. कुल, ३. बल (शक्ति), ४.ऐश्वर्य, ५. बुद्धि, ६. शान (सूत्रों का ज्ञान), ७. सौन्दर्य व८.. अधिकार
मान के निम्नलिखित पर्यायवाची है-८
१. मान- अपने किसी गुण पर अहंवृत्ति।
२. मद- अहंभाव में तनमयता ।
३. दर्प- उत्तेजनापूर्ण अहं भाव । ४. स्तंभ- अविनग्रता । ५. आत्मोकर्ष- अपने को दूसरे से श्रेष्ठ मानना ।
६. गर्व- अहंकार ।
७. परपरिवाद - परनिन्दा । ८. उत्कर्ष- अपना ऐश्वर्य प्रकट करना। ९. अपकर्ष- दूसरों को तुच्छ समझना । १०. उन्नत- दूसरों को छोटा मानना । ११. उन्नाम- गुणों के सामने न झुकना । १२. पुनाम- यथोवित रूप से न झुकना