________________
२. उपाधि- ठगने के उद्देश्य से व्यक्ति के पास जाना
३. निवृत्ति- ठगने के लिए अधिक सम्मान देख ४. बलय- वक्रतापूर्ण वचन । ५. गहन- ठगने के उद्देश्य से अत्यंत गढ़ मान करना ६. नूम- ठगने के हेतु निकृष्ट कार्य करना।
७. कल्क- दूसरों को हिंसा के लिए उपारना
८. कुरुक- निन्दित व्यवहार करना। ९. दंभ- कपट ।
१०. कुट- नाप-तौल में कम-ज्यादा देना।
११. जैहा- कपट का काम ।
१२. किल्विपिक- पांडों के समान चेष्टा करना
१३. अनाचरण- अनिच्छित कार्य भी अपनाना
१४. गहन- अपनी करतूत को छिपाने की करतूत करना
१५. वंचन- ठगी। १६. प्रतिकुंचनता- किसी के सरल रूप से को हुए वचनों का खंडन करना। १७. साचियोग- उत्तम वस्तु में होन वस्तु की मिलावट करना।
ये सब माया की ही विभिन्न अवस्थाएं है। लोभ लोप के पर्यायवाची नाम इस प्रकार :१. लोभ- संग्रह करने की वृत्ति । २. इच्छा- अभिलाषा । ३. मूर्छा- तीन संग्रहवृत्ति । ४. कांक्षा- प्राप्त करने की आशा।