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तब माता के शरार में विपुल वेदना उत्पन्न हो जाती है तथा उसका पति 'विजय' उससे बात करना तो दूर, देखना भी नहीं चाहता । उसके मन में चिन्तन जाता है कि यह सब स्थिति गर्भस्थ जोव के कारण ही हुई है । इसी लिए वह गर्म के प्रति अनिष्ट की भावना से गर्भपात करना चाहती है, उसे मारना चाहतो है तथा भीतर ही मी तर गर्भ को गलाना चाहती है । इसके लिए अनेक खारे, कडवे, तिक्त पदार्थ खाती है, लेकिन गर्भपात नहीं होता । आखिर दुःखी मन से गर्भ का वहन करती है । सम्भव लाता है इसी कारण गर्भ में प्रयापुत्र के शरीर के अन स्थलों से खुन और मवाद हने लाा तथा अग्निक नामक व्याधि
हो गई ।
___ हाल ही में अमेरिका में सा लेण्ट स्कीन नाम फि ल्म तैयार की गयी । उसमें सा० नेथनसन ने परीक्षण किया है कि ता न महीने के भृr का यदि गर्भपात करने का प्रयत्न किया जाता है तो वह मुत-शिद से चीखता है, रोता है तथा हथियार को देखकर बचने की कोशिश करता है । सुश्रुत के अनुसार संभोग के समय भी जसा मानसिक माव और चेष्टा होती है, उसका प्रभाव होने वाले बच्चे पर पड़ता है । इस प्रकार गर्भिणा के प्रत्येक विचार को या गर्भ पर पडतो है ।४ चरक ने इस बारे में विस्तार से चर्चा की है कि किस भाव वालो स्त्री के कैसा बच्चा होता है ।५
स्वस्थ शरीर की संरचना तथा प्राप्ति के लिए गर्म सम्बन्धी अनेक प्रकार की जानकारी मनुष्य के लिए परम हितकर है । परन्तु इसमें और भी अनुसंधान की वावश्यकता है । पाश्चात्य विद्वान् पोटर का चिन्तन है कि जिस धारणा या थ्योरी का खण्डन या विवेचन न किया जा सके , वह ज्ञान नहीं होता ।
१- विपाक सूत्र,१११।५६-६३ २- श्रमण-मासिक पत्रिका, बनारस. ५- चरक, ८।१६, पृ० २०८५-८७ ३- सुश्रुत संहिता, २४