________________
प्राचीन आगमों में ही नहीं बल्कि आज तो पज्ञानिकों ने भी इस पत्र में अनेक प्रयोग किये हैं। आज गर्भावस्था में ही टेप दारा शिशु को पढ़ाया जाता है।
... कलिफोर्निया विश्वविद्यालय के मनो विज्ञान के प्रोफेसर डाक्टर नोवेल जांस ने लास एंजिल्स मेंर लाख २७ हजार से अधिक नवशिशुवों पर परीक्षण किया । उससे पता चला कि शान्त स्थानों पर और शान्त रहने वालो स्त्रियों की अपेक्षाा अन्तराष्ट्रिीय हवाई उड्डे तथा तेज स्वभाव वाली स्त्रियों के बच्चों में अधिक विकृतियां पाई गयी । नाई के चिकित्सक डा. वाई० टी० बी० के० का कहना है कि अत्यधिक शोर गर्भस्थ बच्चे में शारीरिक, मानसिक बोर व्यावहारिक गड़बड़ियां पैदा करता है तथा बच्चा बहरा पैदा होता है । नाड़ी की गति और रक्त चाप भी बढ़ जाता है ।
गर्भवती के मनोभावों का प्रभाव--
-
-
-
-
-
-
-
-
-
.. माता के मनोभावों से गर्भ बहुत अधिक प्रभावित होता है । आगमों में गर्मिणी स्त्री के प्रसंग में अनेक स्थलों पर ले मिलता है कि इस समय चिन्ता, शोक, दो नता, मोह, भय बोर त्रास का अनुभव नहीं करना चाहिर ।। शोफ, रोग, मोह, भय और वास आदि न करने से गर्भ सुखपूर्वक बढ़ता है ।२ वैज्ञानिक यन्त्रों के मारा देखा गया है कि जब गर्भिणो को मुख, प्यास , भय या चिन्ता होती है, उस समय गर्म का फरमान बढ़ जातो है ।३।
मापुत्र के गर्भ का यदि वैज्ञानिक विश्लेषण किया जाए तो यह प्रतीत होगा कि उसे जात्यंध, पुक, बधिर, पंगु तथा विकलांग जन्मने का कारण उसकी माता के मनोमाव थे । मादेवी की कुति में जब सापुत्र का जीव आता है,
३- गर्मविज्ञान, पृ० १३४-३५
१- ज्ञाता, १।१।७२, कल्पसूत्र, ६२ २- मगवती, ११।१४५, सुश्रुत, २०५२