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आयुर्वेद के शब्दों में जैसे रोह मङ्लो का शिरा भो तर की तरफ विस्तृत तथा मुख की तरफ सकुंचित होता है, वैसे ही गर्भाशय का आकार होता है । १ सुश्रुत के अनुसार पिताशय और पक्वाशय के बीच गर्भाशय होता है । आधुनिक । वैज्ञानिकों के अनुसार गर्भाशय मुत्राशय बौर मलाशय के बीच में होता है । गभाशय के चारों ओर ती न आवरण होते हैं । यह आवरण रस और त्वचा से बनता है; इत्तरा स्नायुमंडल से तथा तोतरा बलामी त्वचा से बनता है । वैज्ञानिक जिस रूप में गर्भाशय की रचना का उल्लेख करते हैं वह तंदुलबचारिक से मिाता है ।
जीवोत्पत्ति की संख्या
___एक बार संभोग से स्त्री योनि में १, २ यावत् ६ लास जीवों की उत्पति होती । ।३ उनमें एक, दो या तीन निष्पन्न होते हैं । शेष समाप्त हो जाते हैं । वज्ञा निक खोजों के अनुसार वी य जन्तु एक इंच के ६००३ भाग के बराबर होता है । एक बार के संभोग से निकलने वाले वीर्य में इनकी संख्या करोड़ों तक की होती है । लेकिन स्त्री की डिम्-गन्थियों से एक मास में एक ही हि नि:सत होता है । उसके संयोग से ही गर्म की रचना होती है ।
गौतम ने जिज्ञासा प्रस्तुत की -- इतने जी व एक साथ उत्पन्न कैसे हो जाते हैं? महावीर ने कहा--'संभोग करने से रज संयुक्त पुरुष-वीर्य से स्त्री योनि में लाखों जीवों की उत्पत्ति हो जाती है । " भावता जोड़ में भी जथचार्य ने एक प्रश्न उठाया है कि मरत के सवा करोड़ पुत्र कसे हुर? स्वयं ही उत्तर देते हुर
१- गर्म विज्ञान, पृ० ३ २- नया स्वास्थ्य और दो घायु, पृ० ८४ ३- पावती २।८७, तंदुलवैचारिक प्रफी ण फ १२ ४- Mind ave, P. 17. ५- मग वती, शक