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का संयोग होता है तब पुत्र तथा दोनों के x x संयुक्त होने पर पुत्री पदा होती
एक जापानी वैज्ञानिक के अभिमत से गर्भवती स्त्री अने संकल्प-पल से गर्भ के मृण को पुत्र या कन्या में परिणत कर सकती है । गर्भधारण के दो महीने के मी तर रात को जब तक नींद न आर, तब तक सोचती रहे कि “मुझे लझा होगा" “मुझे लफ़ा होगा - ऐसा करने से उसे पुत्र उत्पन्न हो सकता है । इस प्रयोग से २००० स्त्रियों में से १६५० स्त्रियों के पुत्र उत्पन्न हुए । इसी प्रकार लिंग भेद के बारे में एक पाश्चात्य विधान ने अनेक प्रयोग छोटे प्राणियों पर किये कि पुष्टिकर भोजन करने से स्त्री तथा मुष्टिकर भोजन से पुरुष पैदा होता है। उनका अभिमत है कि यह प्रयोग स्त्रियों पर भी सफल हो सकता है ।३
प्रसिद्ध दार्शनिक अरस्तु के अनुसार उचरी हवा चलते समय गर्भाधान हो जार तो वह बच्चा पुत्र “प में पैदा होता है । इसके अतिरिक और भी अनेक मान्यताएं प्रचलित हैं लेकिन वे तक की कसोटा पर सही नहीं उतरतों : उनको यहां प्रस्तुत नहीं किया गया ।
स्त्री के गर्भ की भांति उपग के मा चार प्रकार के गर्मों का उल्लेख मिलता है-- १- ओस, २- मिहिका-सुहासा, ३- अतिशो त, ४- अतिउष्ण । दूसरे प्रकार से भी, चार मेद किये गये हैं-- १- हिमपात, २- आकाश का बादलों से ढके रहना, ३अतिशी तोष्ण, ४- गर्जन, विद्युत्, जल, वात का संयुक्त योग । ये चारों गर्भ क्रमशः माघ, फागुन, चत्र तथा वैशाख के महीने में होते हैं ।
........... १- Mind Alive, P. 37. २- होमियोपैथिक पारिवारिक चिकित्सा, पृ० ६६६ ३-The Ascent of Man, P. 114-115. ४- ठाण, ४।६४०-६४१ गा० १