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वीर ज्ञानोदय ग्रंथमाला ( घटे ३६ मिनट) की होती है ।
पुनः दिन घटने का क्रम
जब सूर्य प्रथम गली का परिभ्रमण पूर्ण करके दो योजन प्रमाण अंतराल के मार्ग को उलंघन कर दूसरी गली में जाता है तब दूसरे दिन दूसरी गली में जाने पर परिधि का प्रमाण बढ़ जाने से एवं मेरू में सूर्य का अन्तराल बढ़ जाने से दो मुहूर्त का ६१ वां भाग (१६५ मिनट) दिन घट जाता है एवं रात्रि बढ़ जाती है। इसी तरह प्रतिदिन दो मुहूर्त के ६१ वे भाग प्रमाण घटते-घटते मध्यम गली में सूर्य के पहुंचने पर १५ मुहूर्त (१२ घंटे) का दिन एवं १५ मुहूर्त की रात्रि हो जाती है।
तर्थव प्रतिदिन २ मुहूर्त के ६१ वें भाग घटते-२ अंतिम गली में पहुंचने पर १२ मुहूर्त (६ घटे ३६ मिनट) का दिन एवं १८ मुहूर्त (१४ घटे २४ मिनट) की रात्रि हो जाती है।
जब सूर्य कर्कट राशि में प्राता है तब अभ्यंतर गली में भ्रमण करता है और जब सूर्य मकर राशि में प्राता है तब बाह्य गली में भ्रमण करता है।
विशेष-श्रावण मास में जब सर्य प्रथम गली में रहता है तव १८ मुहूर्त का दिन एवं १२ मुहूर्त की रात्रि होती है । वैसाख एवं कार्तिक मास में जब सूर्य बीचों-बीच को गलो में रहता है तब दिन एवं रात्रि १५-१५ मुहूर्त (१२ घन्टे) के होते हैं।