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जैन ज्योतिर्लोक
राजांगण के बाहर विविध प्रकार के उत्तम रत्नों से रचित और विचित्र विन्यास रूप विभूति से सहित परिवार देवों के प्रासाद होते हैं।
इन देवों की आयु का प्रमाण चन्द्रदेव की उत्कृष्ट प्रायु-१ पल्य और १ लाख वर्ष की है। सूर्यदेव की , , -१ पल्य १ हजार वर्ष की है। शुक्रदेव की , , -१ पल्य १०० वर्ष की है। वृहस्पतिदेव की ,, ,, -१ पल्य को है। बुध, मंगल आदि ., -ग्राधा पल्य की है। देवों की
तारात्रों की , -पाव पल्य की है। 1 तथा ज्योतिष्क देवांगनाओं की आय अपने २ पति को प्रायु से आधे प्रमागग होती है।
सूर्य के विम्ब का वर्णन सूर्य के विमान ३१४७३, मील के हैं एवं इममे आधे मोटाई लिये हैं तथा अन्य वर्णन उपर्युक्त प्रकार में चन्द्र के विमानों के सदृश ही है। सूर्य को देवियों के नाम-द्य तिश्रुति, प्रभंकरा, सूर्यप्रभा, अचिमालिनी ये चार अग्रमहिपी हैं। इन एक-एक देवियों के चार-चार हजार परिवार देवियां हैं एवं एक-एक अग्रहिषी विक्रिया से चार-चार हजार प्रमाण रूप बना सकती हैं।