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जैन जगती • परिशिष्ट
Recenect लेकर महावीर तक २३ तीर्थकर अपने-अपने समय में अज्ञानी जीवों का मोहान्धकार नाश करते थे।" ये वाक्य तुकारामकृष्ण शर्मा लट्ट बी० ए० पी० एच० डी० इत्यादि प्रोफेसर क्वींस कालेज बनारस ने 'स्याद्वाद महाविद्यालय काशी के दशम वार्षिकोत्सव के अवसर पर अपने व्याख्यान में कहे थे। जै० जा० महोदय प्र० प्रकरण ।
१२८-“पार्श्वनाथ एक ऐतिहासिक व्यक्ति हो गये हैं। इसमें कोई शंका नहीं है। जैन मान्यतानुसार उनकी आयु १०० वर्ष की थी और महावीर से २५० वर्ष पूर्व उनका निर्वाण हुआ है। इस प्रकार पार्श्वनाथ ईसा से आठ शताब्दि पूर्व उत्पन्न हुए सिद्ध होते हैं। महावीर के माता पिता पार्श्वनाथ के धर्मानुयायी थे।" ऐसा गिरिनोट का मन्तव्य है। 'उत्तर हिन्दुस्तान में जैनधर्म' नामक इतिहास पृ० ११ से उद्धृत (ले० चिमनलाल के० चन्द शाह)।
१२६-"ज्यों-ज्यों मैं जैन धर्म और उसके साहित्य को समझता हूँ त्यों-त्यों मैं उसे अधिक पसन्द करता हूँ।" ये शब्द जान्सहार्टल ने अपने एक पत्र में लिखे थे।
१३०-१३१-नर-कला-व नारी-कला-यहाँ स्थनाभाव से हम नर-कलाओं और नारी-कलाओं के नाम तो नहीं दे सकेंगे और न देने की ही आवश्यकता है।
१३२-१३५-अपराजित, नंदिमित्र, नंदिल, भद्रबाहु (भद्रभुज) ये सब श्रुत केवली और चौदह पूर्व के ज्ञाता थे। . _१३६-आर्य रक्षितसूरि-ये भी जम्बूस्वामी के प्रमुख शिष्य