________________
.*जैन जगती **
परिशिष्टे
हिचक बिक गई और अपने पति को ऋण मुक्त किया। देखो 'हरिश्चन्द्ररास' |
६५ - तारा - यह राजकुमार कनक की बहिन थी । यह बचपन में ही अपने परिवार से बिछुड़ गई थी। इसने अनेक संकट सहन किये थे ।
६६ - कुसुमबाला -- यह भी महा सती थी । इसने अपने शील की रक्षा करने के लिये बड़े-बड़े संकटों को सहन किया था ।
६७ - सुभद्रा - अपने शील के प्रभाव से इसने चलनी से कुए में से पानी निकाल कर बढ़ते हुये जल प्रवाह को छिटक कर शान्त किया था । यह चंपानगरी - निवासी श्रेष्ठ सुत बुद्धदास की स्त्री थी ।
१८ - शिवा - चण्डप्रद्योत की राणी और चेटक राष्ट्रपति की पुत्री थी। इसने नगरी में लगती हुई प्रबल अग्नि को अपने शील के प्रभाव से शमन की थी ।
६६ - कलावती --- शंख नृपति की राणी थी । एक समय राजा ने मिथ्या शंका से कलावती के दोनों हाथ कटवा दिये । लेकिन अवसर आये शील के प्रभाव से कलावती के दोनों हाथ पूर्ववत हो गये ।
१०० - वासुमति --इसका अपर नाम चंदनबाला है। यह राजा दधिवाहन की पुत्री थी । आजन्म ब्रह्मचारिणी थी और भगवान महावीर की सुयोग्या शिष्या थी । भगवान् का कठिन अभिग्रह चंदनवाला के ही हाथ पूर्ण हुआ था । इसने जीवन में जितने संकट सहन किये उतने दुःख शायद ही किसी अन्य सती
२१३ -