SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 101
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ धर्मकी शाखा मात्र है और उसके असली तत्वों से विमुख हो गया है। स्थानकवासी संप्रदाय ही तीर्थकरों के असली उपदेशों को मानता चला आ रहा है और इस लिए यह नहीं कह सकते कि वह किसी प्रकार भी असली मूल की शाखा है। ऐसी अवस्था में निर्पक्ष पाठक मेरे साथ इस बात में अवश्य ही सहमत होंगे कि जैनों में यदि कोई संप्रदाय महावीर फा असली और सच्चा अनुयायी होने का दावा कर सकता हो तो वह केवल स्थानकवासी संप्रदाय ही है। स्थानकवामी जैन धर्म के असली और सच्चे अनुयायी है और श्वेताम्बर मूर्ति पूजक संप्रदाय मूल सघ की शाखा है इस बात को और भी पुष्ट करने के लिये यह आवश्यक है कि हम उन लक्षणों की जांच पड़ताल फरें कि जिनमे हम महावीर फे सपचे अनुयायी बन सकते है और फिर उन सिद्धान्तों की पासौटी पर परीक्षा करें कि इन दोनों सम्प्रदायों में मे कौनमा सम्प्रदाय ऐसा है जो वास्तव में असली जैन धर्मापलम्बी फारा जा सकता है। मूर्तिपूजकों और स्थानकवासियों की तुलना । ताम्बर मूर्ति पूलक ४५ शाखों को मानते हैं, परन्तु स्थानश्वानी नमें से केवल १२ को ही मानते हैं। उनकी
SR No.010241
Book TitleJain Itihas
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages115
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy