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परमाणु जितने भी गुणोंकों वखानते हैं, और अपना मेरुके समान बडे गुणोकाभी गान नहि करते. तो गुणके विगर घमंड रखकर अपूर्ण घटकी तरह न्यूनता दिखलानी सो कितनी बड़ी भूल और विचारने जैसी बात है. यह बातका विचार कर पूर्ण घडेकी समान गंभीरताइ धारण करनी सीख लेनी और आपबडाइ करनी छोड देनी; क्यों कि आपबडाइ करनेमें कदम दरकदम परनिंदाका दोष लगता है. परनिंदाके पाप अति वूरे होनेसें मिथ्या आपवडाइ करनेवाला प्राणी वैसें पापकोसे अपने आत्माकों मलीन कर परभवयं या क्वचित् यही भवमें वहोत दुःखी हालतमें आजाता है.
२२ दुर्जनकोभी की निंदा नहि करनी.
परनिंदा करनेसें कुछभी फायदा नहि है, मगर निंदा करनेवालेको वडा गेरफायदा तो होता है. अपना अमूल्य वस्त गुमाकर आपही मलीन होता है. निंदा यह हामनेपालको सुधारनेका मार्ग नहि है किंतु विगाडनेका रस्ता है, एसा कहाजाय तो कुछ झूठा नहि है. सजन जन तो पैसे निंदकोसे ज्यादा ज्यादा जाग्रत-सचत रहकर गुण ग्रहण करत हैं; लकिन दुजन ता उला कुपित होकर दुर्जनताकीही वृद्धि करते है. इसिलिये दुर्जनको निंदासें भी हानिही हाथ आती है. संत-सज्जनोंकी निंदासें सज्जन जनकों तो कुछ भी औगुन मालूम होता नहि है; तदपि वैसे उत्तम पुरुषोंकी नाहक निंदा करनेसे आशयकी महा मलीनता होनेके