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गंधी देता है, वैसेही उपकारी जन जगत्मात्रका उपकार करता है. अपकार करनेवाले परभी उपकार कर सोही जगत्में बढा गिना जाता है.
१६ उपकारीका उपकार कभी नहि भूलना.
कृतज्ञजन किये हुवे उपकारकों कवीभी नहिं भूलना है. और __जो मनुष्य किये हुवे उपकारकों भूल जाना है वो कुनघ्न कहा ___ जाता है. और इस्से भी जो जन उपकारीका अहित करनेको छ
वो तो महान् कृतन्न जानना. माता, पिता, स्वामी और धर्मगुरुके उपकारका बदला दे सके ऐसा नहि है. तथापि कृतज्ञ मनुष्य उन्होंकी वनसके उतनी अनुकूलता संभालकर उन्के धर्मकार्यम सहायभूत होने के लिये ठिक ठिक प्रयत्न करें तो कदापि अनृणी हो सकता है. सत्य सर्वभापित धर्मकी प्राप्ति करानेवाले धर्मगुरुका उपकार सर्वोत्कृष्ट है. ऐसा समझकर मुविनीत शिष्य उन्हकी पवित्र आज्ञामें वर्तनेके लिये पूर्ण संत रखता है. और यह फरमानसें विरुद्ध वर्तन चलानेवाले गुरुद्रोही महा पातकी गिने
१७ अनाथकों योग्य आश्रय देना. ___ अपनी आजीविकाके विपे जिनकी कुछभी साधन नहि है.
जो केवल निराधार है. ऐसे अशा अनाथोंका यथायोग्य आलंबन ___आधार-आश्रय देना यह हरएक शक्तिपंत-धनाढय दाना मनुष्यों
की खास फर्ज है. दुःखी होते हुये दीन जनोंका दुःख दिलमें — धारण करके उन्होको कतके ऊपर विवेकपूर्वक मदद देनेवाले स