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५७ श्रावक- पोसहम धरके मनुष्योकी पूंछ करके साधुको अनादिक व्हारावै.
५८ आलोयण संबंधी खाध्याय इरियापही पूर्वक सूझ सके. कभी भूल गये होवै तो फिरक-पुन: उपयोग करना. . .....५९ ७४ करने की इच्छावाला यदि. पहिले दिन एक उपवा. सका पचरूखाण कर तो दूसरे दिनभी एक उपवासका पञ्चरुवाण कर. उसके बदलेमें यदि छहका कर तो उनको दूसरे दिन भी उपवास करना युक्त है. औसी समाचारी है. .. ६० केवली समुद्धात किये बाद अंतर्मुहूर्त तक संसारमें रहते हैं, पीठफलकादि स्थकों पीछे-वापिस सोंपकर पीछे शैलेशीकरण करते हैं, कयोंकि अंतर्मुहूर्त आयु शेष रहता है तभी ही समुदघात करने लगते है.
- ६१ योगमें रात्रिक १०त. अणाहारी वस्तु लेना न कल्पै. __ (संघका अभाव होनेसे न कल्पै.)
-- ६२ योग उपधान और व्रत उच्चरने होवै तो उसमें दिन शुदि देखनी महिना वर्ष वगैर: देखनेकी कुछ जरुरत नहीं. ... यह प्रश्नोका सार उक्त ग्रंथे बांचनेकी वस्तमें किये गइ यादी
मुजब लिखा गया है, उनमें यदि संदेह पड़े तो उक्त ग्रंथोसें उसका निर्णय कर लेना.
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समाप्त