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८७ " मिष्टपचनसहित सो दान, गरिहित सो ज्ञान प्रमान. "
સમા સહિત સો શૌર્યવવાર, વિવેસહિત વિત્ત સોનાના
ये चारों अपूर्व पितामणि समान जैसे है सो किसी ____ भाग्यशालीकोही प्राप्त होते हैं." ८८ " ५२व्य, परस्त्री और खलपुरुषका की भी संग
नहीं करना." ८९ " चलना है जरूर जाको, ताकों कैसा सोवणा." ९. "जाग अवलोक निज शुद्धता स्वरुपकी, शोभा नहीं कही
जात चिदानंद भूपकी." ९१ "विषयवासना त्यागो चेतन, साचे मारग लागोरे." ९२ " आतमध्यान समान जगतम, साधन नहि कोड आन." ९३ " गाफिल. मत रहो छिनभर तुम, शिरपर धूम
तेरे काल अरी." ९४ " थोडेसे जीवनकाज अरे नर ! काहेको छल प्रपंच करो?" ९५ " औसर पाय न चूक चिदानंद, सद्गुरु यौं दरसायारे." ९६ “ सम्यम् ज्ञान और क्रिया ये मोक्षटक्षका अवंध्य बीमहै"
यतः ज्ञान क्रियाभ्यां मोक्षः । ९७ “जीको परभव जानेके वख्त फक्त धर्मकाही आधार है." ९८ " जिसका मन पवित्र उसीकोही पवित्र जानो." ९९ " मोह समान एक भी मस्त मदिरा नहीं है." १०० "विषय समान सर्वस्व चोरनेवाला कोई चोर नहीं है." १०१ " तृष्णा समान कोइ विषवल्ली नहीं है."