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पहल पर जोर दिया गया है। जैन धर्म जो स्थापित धर्म से विद्रोह करके उठा था और बहुत तरह से उससे भिन्न था, जाति की ओर सहिष्णुता दिखाता था और स्वयं उससे मिल-जुल . गया था, यही कारण है कि यह आज भी जीवित है और हिन्दुस्तान में जारी है।'
आज हम विश्व हिन्दू धर्म के माध्यम से हिन्दू धर्म तथा संस्कृति पर चिन्तन करने के लिए एकत्र हुए हैं। आचार्य तुलसी ने इस मौके पर व्याख्यान देते हुए इससे आगे कहा था कि हम जो एकत्र हैं, उनमें वैदिक, जैन, यौद्ध, सिक्ख आदि अनेक धर्मों के प्रवक्ता हैं। सब प्रवक्ता हिन्दू धर्म के बारे में अपने विचार प्रस्तुन करेंगे। इस विषय में मुझे कई वार चिन्तन का अवसर मिला है। मेरे सम्मुख अनेक वार यह प्रश्न उपस्थित हुमा है कि जैन लोग हिन्दू हैं या नहीं? ___मैंने इस प्रश्न पर गहराई से चिन्तन किया। चिन्तन के पश्चात मैं जिस निष्कर्ष पर पहुंचा, वह मैंने प्रश्नकर्ताओं को बताया । आज मैं आप सबके सामने अपना विचार प्रस्तुत करता हूँ । मेरे चिन्तन का मुख्य विषय है, हिन्दू शब्द का अर्थ क्या है ? वैदिक का अर्थ स्पष्ट है जो वेदों का प्रामाण्य स्वीकार करता है, वह वैदिक है। जिन अर्थात तीर्थकर की वाणी को जो प्रमाण मानता है, वह जैन है । बुद्ध का अनुगमन करने वाला वौद्ध है । पर हिन्दु न तो कोई शास्त्र है और न कोई व्यक्ति। १-राष्ट्र धर्म-लउनऊ-तीर्थकर महावीर विशेषांक-पं० जवाहर
लाल नेहरू-पृ० २७
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