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( ४६ मत से पृथक समझता था । ___यह विकृति भी अंग्रेजी भाषा के शब्दों को 'हिंदू' की। व्याख्या के लिए प्रयोग करने के कारण हुई है। .
हम देखते हैं कि आजकल लोग हिन्दू (आर्य) का लक्षण अनेक प्रकार से करते हैं, पर बिना आर्य इतिहास के समझे वे हिन्दू का ठीक-ठीक लक्षण ही नहीं कर सकते, पर वैदिक जानते हैं कि शिखा सूत्रधारी को आर्य (हिंदू) कहते हैं। शिक्षा में सिक्ख, बौद्ध, जैन, शूद्र और कौल-मील समा जाते हैं।२
हिंदू कौन है ? विनोबा भावे लिखते हैं कि जो वर्णों और आश्रमों की व्यवस्था में निष्ठा रखने वाला, गो-सेवक, श्रुतियों को माता की भांति पूज्य मानने वाला तथा सव धर्मों का आदर करने वाला है, देवमूर्ति की जो अवज्ञा नहीं करता, पुनर्जन्म को मानता और उससे मुक्त होने की चेष्टा करता है तथा जो सदा सब जीवों के अनुकूल वरताव को अपनाता है, वही हिंदू माना गया है । हिंसा से उसका चित्त दुःखी होता है, इसलिए उसे 'हिंदू' कहा गया है।
डा० हेडगेवार और वीर सावरकर जी के दृष्टि विन्दुओं में पूर्णतः साम्य उपस्थित है। इसके अनुसार हिंद के निम्नलिखित धर्म होने चाहियें :-- (१) वह आसिन्धु सिन्धु पर्यन्त भूमि को भारतभूमि
माने। (२) इस भूमि को वह अपनी पुण्यभूमि माने ।
(३) इसी को वह अपनी पितृभूमि माने । १-हिन्दू का स्वरूप-गुरुदत्त-पृ०६ २-वैदिक आर्य सभ्यता-स्व० श्री पं० रघुनन्दनजी शर्मा