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धर्म, दर्शन, विज्ञान, कला एवं समस्त जीवन के सार तत्व से समन्वित संस्कार सम्पन्न जीवन ही संस्कृति कहलाती है। जहां समस्त अन्तरंग विरोध स्वयं समाप्त हो जाते हैं और जीवन्त मानवीय समग्रता ही शेष रह जाती है । पाने वाले लम्बे काल चक्र की अविश्रांत गतिशीलता को अपने में समेटे'। ____ शताब्दियों पूर्व बुक्का राय प्रयम (१३६८ के शिलालेख के अनुसार) ने एक आज्ञा प्रकाशित की थी :--'यह जैन दर्शन पहले की भांति पंत्र महाशक और कलश का अधिकारी है। यदि कोई वैष्णव किसी भी प्रकार जनियों को क्षति पहुंचाये, तो वैष्णवों को उसे वैष्णव धर्म की क्षति समझना चाहिए। वैष्णव लोग जगह-जगह इस बात की ताकीद के लिए शासन कायम करें। जब तक सूर्य और चन्द्र का अस्तित्व है, तब तक वैष्णव लोग जैन दर्शन की रक्षा करेंगे । वैष्णव व जैन एक ही हैं, उन्हें अलग-अलग नहीं समझना चाहिए । वैष्णवों और जैनों से जो कर लिया जाता है, उससे श्रवण वेल गोला के लिये रक्षकों की नियुक्ति की जाये और यह नियुक्ति वैष्णवों के द्वारा हो तथा उससे जो द्रव्य वचे, उससे जिनालयों की मरम्मत कराई जाये और उस पर चूना पोता जाये। इस प्रकार वे प्रतिवर्ष धन दान देने से चूकेगे और यश तथा सम्मान प्राप्त करेंगे, जो