________________
सन्दर्भ और टिप्पणी ।. दी हिस्ट्री आव इंडियन फिलासफी, भाग दो, डा0 सुरेन्द्रनाथ दास गुप्त,
केम्ब्रिज, 1923, पृ0 412.
2.
आगम युग का जैन दर्शन, श्री दलसुख मालवाणिया, श्री सन्मति ज्ञान पीठ, आगरा, 1966, पृ0 129.
3.
मतिचताऽवधिमनःपर्ययकेवला नि ज्ञानम् ।
तत्वार्थसून, उमास्वाति, सं0 40 सुखलाल संधावी, भारत जैन महामंडल, वर्धा, 1932, 1.9
+.
तत्प्रमाणे ।
वही 1.10
5. तत्वार्थवार्तिक भाग एक अकलंक, सं00 महेन्द्रकुमार,
भारतीय ज्ञानपीठ, काशी, 1953, I. 10-1.
6.
वही 1.10-6-7.
7.
वही 1.10-8-9.
पञ्चारितकायसमयसार, कुंदकुंद, निर्णयसागर पेस बंबई, 1916, गाथा, 48. 49.
तत्वार्थवार्तिक ।. 10-12.
10.
वही ।.10-14.
।।.
सवार्थसिद्धि, पूज्यपाद, सं०० फूलचन्द्र जैन, भारतीय ज्ञानपीठ काशी, 1955, 7-9-१.
12. न्यायावतार, सिद्धर्शिकी टीका