________________
140
देख नहीं पाते तो इस बात की प्रमाणिकता क्या है कि जहां-जहा धुँआ है वा-वहाँ अग्नि है ।
400
इसका तात्पर्य है कि प्रत्यक्ष के द्वारा अविनाभाव संबंध सिद्ध नहीं किया जा सकता। इस बात को एक उदाहरण से और स्पष्ट किया जा सकता है. किस आधार पर यह कहा जाता है कि कौवे काले होते हैं। सभी काँपों को देखा जाना तो संभव नहीं है किन्तु जितने काँपे आज तक दिखाई दिये हैं, वे सभी काते थे । एक भी ऐसा कौना नहीं दिखाई पड़ा जो काला न हो; इससे इस बात की संभावना होती है कि कौवे काते होते हैं । किन्तु कुछ काले कौवों को देखकर सामान्य और प्रामाणिक से सभी विषय में कोई कथन कैसे किया जा सकता है' ऐसा कथन मात्र ऐन्द्रिय प्रत्यक्ष के आधार पर तो किया नहीं जा सकता क्योंकि ऐन्द्रिय प्रत्यक्ष तो विशेलों का होता है । विशेषों के कितने ही उदाहरण हो किन्तु उनमे सामान्य का ज्ञान संभव नहीं है । प्रत्यक्ष वर्तमान का होता है जबकि ऐसा संबंध सार्वभौमिक और सार्वकालिक होता है 1 बोई भी अनुभाविक पद्धति ऐसे अनिवार्य और सामान्य संबंध की समस्या को हल नहीं कर सकती 116
इस अनिवार्य और सामान्य संबंध की समस्या को, पाश्चात्यदर्शन में, जा इसे "आगमन की समस्या कहा गया है प्रो० रसेल के शब्दों में इस प्रकार रखा या सकता है, रसेल यह संदेह करते हैं कि क्या किसी घटना के घटने के कई उदाहरण इस बात का प्रमाण है कि वह भविष्य में भी घटेगी और रहोल स्वयं ही कहते हैं कि ऐसी सभी आशायें संभावना मात्र है । इसीलिये उनका कथन है कि ये आशायें अवश्य पूरी होगी, कहने के बजाय यह कहना चाहिये कि वे पूरी होनी चाहिये | 7 रसेल की मूल समस्या यह ही है कि इस बात का क्या प्रमाण है कि किसी घटना के संदर्भ में भविष्य में भी वैसी ही घटेगी जैसी भूतकाल में हुई सूर्य भूतकाल में सदैव पूर्व से निकलता देखा गया किन्तु भविष्य में भी सूर्य पूर्व से ही निकलेगा इसका क्या प्रमाण है' रतेल का कहना है कि यह अनुभव के आधार पर सिद्ध नहीं