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________________ परिशिष्ट ४ १०॥ १०. १२१ १२१ १०४ १०३ १२० ११० 20 जैन ग्रन्थ प्रशस्ति संग्रह के ग्रन्थ और ग्रन्थकार १ प्रजिय पुराण _ विजय सिंह ११७ ३३ णिज्मर पंचमी कहारासु विनयचंद मुनि '२ मणंतवय कहा ____x १०५ ३४ णिदुह सत्तमी कहा बाल चन्द मुनि ३ प्रणंतवय कहा म० गुणभद्र १०४ ३५ णिद्दह सत्तमी कहा म. मुगभद्र ४ मणत्यमिय कहा हरिवन्द कवि १०७ ३६ णिदूसि सत्तमि वय कहा साधारण ५ अणथमी कथा रइधू कवि ६५ ३७ मिणाह चरिउ कवि लक्ष्मण ६ अणुवेक्खा अल्हू कवि १११ ३८ मिणाह चरिउ अमर कीर्ति ७ अणुवेक्खा व साधारण १२ ३६ तियाल चउवीसी कहा व० साधाररण ८ अणुबेक्खा दोहा लक्ष्मीचंद १११ ४० दहलकवरण वय कहा ९ अनुवेक्खारासो जह्निग कवि ४१ दुद्धारस कहा (दुग्धारस कथा) भ० मुणभद्र १० अप्पसंबोहकव्व रइधू कवि ६ ४२ दुद्वारसिकहा ब. साधारण ११ अमरसेन चरिउ माणिक्कराज ५७ ४३ दुद्धारसिका बालचन्द मुनि १२ मायास (प्राक श) पंचमी कहा १०३ ४४ धाणकुमार चरिउ रइधू कवि १३ भाराहणासार वीर कवि १.५ ४५ धम्म परिक्खा बुध हरिषेण १४ कल्याणकरासु विनयचंद मुनि १०६ ४६ पउम चरिउ स्वयंभूदेव १५ कहाकोसु श्रीचंद ७ ४७ पउम चरिउ रयधू कवि १६ कुसुमंजलि कहा ब्रह्म साधारण १२१ ४८ पक्खवइ कहा गुणभद्र १७ कोइल पंचमी कहा ब्रह्म साधारण ११६ पंडव पुराण यशः कीर्ति १८ चंदणछट्ठी कहा लाख या लक्ष्मण १०९ ५. पज्जुण्ण चरिउ सिद्धवा सिंह कवि १६ चंदणछट्ठी कहा भ० गुणभद्र १०३ ५१ परमेट्टि पयास सारो श्रुतकीर्ति २०चंदायणवय कहा भ० गुणभद्र १०३ ५२ पासचरिउ प्रसवाल कवि २१ चंदप्पह चरिउ भ० यशःकोति ३७ ५३ पासणाह चरिउ श्रीधर कवि २२ चूनडी रास विनयचंद मुनि १०८ ५४ पासणाह चरिउ रइधू कवि २३ छक्समोवएस अमरकीर्ति १३ ५५ पासणाह चरिउ देवबंद (देवचंद) २४ जंबूमामि. परिउ वीर कवि ५६ पास पुराण पद्मकीर्ति (पद्मसेन) २५ जसहार चरिउ रइधू कवि ६३ ५७ पास पुराण तेजपाल कवि २६ जिणदत्त चरिउ (५०) लक्ष्मण ५८ पुण्णासव कहा रइधू कवि २७ जिणरत्ति कहा भ० यशःकीति ४ ५६ पुण्फंजली कहा गुणभद्र २८ जिणरत्ति विहारण कहा नरसेन १२३ ६० पुरन्दर विहाण कहा अमरकीति २६ जीवंधर चरिउ १०१ ६१ बारह अणुवेक्खा रासो योगदेव ३. जोगसार १३३ ६२ बाह बलिदेव चरिउ धनशल ३१ नागकुमार परिउ मारिणक्यराज ६१ ६३ भविसयत्त कहा श्रीधर कवि ३२ णिज्झर पंचमी कहा बु. साधारण १२१ ६४ मउर सत्तमी कहा गणभद्र ११२ "१२८ . ४५ 49., ७२ '१२४ १०४ र इधू कवि श्रुतकीति
SR No.010237
Book TitleJain Granth Prashasti Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmanand Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1953
Total Pages371
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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