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वीरसेवामन्दिर-मन्थमाला
जो अयरबाल-वंसह मयंक,
बहु विथए पुणु बिण्यात तेण विहु-पक्स-सुर सो शेय वं।
कर भारोमेविणु णिय-सिरेण । वाटूसाहुहु वंदनु पवीशु,
मो रहधू पंडिय गुण-विहाण, शिय-जणगिह-बोइय-विणय-खीणु ।
पोमावाद-पर-यंसह पहाणु । जिब-सासणु-भत्तु कसाय-खीणु,
सिरिपाल बम्ह भायरिय सीस, उद्धरिय-दीनु ।
महु वपशु सुगहि भो बुह-गिरीस ॥ तहो भज्जा गुण-गण-सजा द्योचंदही चामें भणिया।
सोढल-णिमित्त णेमिहु पुराणु, मुशिदाया-पियंकर अय-शियमायर णं पवित्ति स्वहो तरियार विरयड जहं कइ-जण-विहिय-माणु । बीई तिय वील्हाही गुणंग,
तहं रामचरितु, वि महु भणेहि, भइसील-विसुखविणाय-गंग ।
लक्खा समेड इड मणि मुणेहिं । जेठिहि दलु सिरि करमसीहु,
महु सासराड तहु मित्त जेण गिह-भारु धुरंधरुबाहु दीहु ॥
विपत्ति मा प्रबहारि तेण । मुणिसह शिवसह जसु पढम लीह,
महु णामु बिहहि चंदहो वि माणि, जावय-जहाण पूरिय-समीह।
इस वयणु सुद गिय चित्ति ठाणु । तसु भज्जा जौणाही पवीण,
इस णिसुणिवि वयणई, जंपिय सवणई पंडिएण ता उत्त गुरुदेव सस्थ-पय-भत्ति लीय ।
हो हो किंयुत्तड एत्यु भजुत्तड हउँ गिह कम्में गुत्तउ । तहु वहणीऽणंतमती पहाण,
घडएस मवह को उबहि-तोट, मह-सीत-सीय गिह-ल-मार।
को फणि-सिर मणि पपड विणोड । चढविह दायें पोसिष-सुपत्त,
पंचाणण-मुहि को खिवह हत्थु, मह-णिसु जिणवर-कम-कम-भत्तु
विगु सुने महि को स्वइ वत्थु ॥ बहईहिं पुत्ति हवे सुतारु,
विणु बुद्धिए तहं कन्वहं पसार, णामेण ननो नेहें सुसार॥
विरएप्पिणु गच्छमि केम पारु । जिण-चरब-कमल णाविय-सरीरु,
इब सुणिवि भण्इं हरसीहु साहु, वय-सरु-शिवाहवा-धीहवीह।
पावियउ जेण महि धम्म लाहु॥ भरणहि वासरि चितियउ तेण,
तुहं कम्बु धुरंधर दोसहारि, हरसीह काम इडिय सिया।
सत्वत्थ-कुसलु बहु-विण्य-धारि । किंकिज्जा वित विहिय मम जेण यदीणु भरिज्जह ।
करि कन्बु चिंत परिहरहिं मित्त, किंतेय निकाए पडिबराए पय-वह जिण ण धरिजह ॥३
तुह मुहिं शिवसहसरसह पवित्त । गरभट पाविव करणीड एम,
सं वयणु सुणिवि भरियायत सेय, भवदहि विवडण यो होइ जेम ।
पारबु, सत्यु पुजु परिएक। चितिम्बर सनुबाशु इदछ,
सह बिहु दुज्जण महु भट कांति, चरणु वि पुड खोयत्तय-बस्छि ।
पूपर जह दुमयि भय उबंति । धम्मु जि पहलवाणु खोयसारु,
जहं काय-निंद मजबहु सरीरु, सेविब्बर एत्यु भवषयगरु ।
सेयंति पेय-धणि खोय भीह । विषुधमें जीड व मुक्ति पाइ,
तह अवगुणु गुणु ते पाव लिंति, तं विलुर चडि वि सबलु जाह।
णिय पयति सहाड जि पायति॥ इप चिंतिषि पुडगड साहु तत्व,
सज्जण अम्माम हंड सतुम्ह, अहडिट जिबगेहब।
एत्येव खमेवट दोसु प्रम्ह ।