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________________ हड़ (श्रीक) हल (कवि) गल १० एल० वैद्य जराज ण्डरीकिनी (नगरी) ष्णासव कथा गासव कहा सव कहा कोस व्यपाल ण्यपाल ( साहु ) नाट (संघ) फंजलि कहा पांजलि कथा पुरंदर विहारण कहा वाड वंश (कुल) पुरुषार्थसिद्ध पाय पुष्कर गर हम (पृथ्वी राजा ) पूज्यपाद (देवनन्दी) पूर्णदेव भद्रमुनि ना (नगर) ७६ ८ 's १११ फंजलि व्यक ११२ पदन्त ( महाकवि ) ७,१४,१६,५१,५३, ६०, ६३, ६८, ७२ _७६,६१,६५,६७,९९′१०३, १२४,१३३,१३४५० २-१३६ पृथ्वी देवी पृथ्वीपाल पृथ्वीराज रासो जैन ग्रन्थ प्रशस्ति संग्रह पेशावर पोढिल्ल (प्रोष्ठिल्ल) माव (पद्मावती पुरवाल कुल ). पोमावती गेमसेल (पद्मसेन) ल्हरण १ प्रत कीर्ति ( भट्टारक ) २६ ५० १३४ १२२ ५.७ १९४ ६३ १०० प० १२-१४२ ६६,६७ ६४,७६,६०,१०३ ८३,१२४,१२५ ८६ ८१,१२६ १३४ ८८ प० २ १३७ २१ १०६ ३३ ३४ १२ १२८ १०३,१०४ प्रताप रुद्र ( चौहान वंशी राजा ) प्रतापसिंह ( चौहानवंशी राजा रामचन्द्र पुत्र ) ५८ ६४ 55 प्रद्य ुम्न प्रद्युम्नकुमार (श्री कृष्ण पुत्र ) प्रद्य ुम्न चरित्र प्रभाचन्द्र ( भट्टारक ) ७४ प्राचीन जैन लेखसंग्रह प्रभाचन्द्र (प्राचार्य) प्रभाचन्द्र गणी प्रबन्ध चिन्तामरिण प्रबोधचन्द्रोदय (नाटक) प्रवचनसार प्रशस्ति संग्रह प्रहलाद् देव प्रल्हादन देव ( पालनसी) प्राकृत पिंगल प्राकृत प्रकाश प्राग्वाट (पुरवाड) कुल प्रियंकर ( पुत्र रामदेव ) फतहखां हार्वी फीरोजशाह तुगलक बखतराम (पंडित) बंगाल दूर) बघेल वंश १५७ वडनगर बडौदा बंदिग्गदेव बनारसीदास (कवि ) म्हणवाड (नगर) बम्बई ७७ १०० १११ ६८ ७२ ७६ ५१,८६,११८,१२८१२६,१३०, प० १२-१४१, १४२ १३० 50 ६३ प० १-१३६ १० २६ ७५ १०३ टि०-११३: १२ ६२.७० १०६ 50,88 १२५ १५,१६ बघेरवाल १०४ बपेश (प्राचीन नगर वर्तमान कस्वा केकडी से १४ मील १.११ १४. १०४ ६७ ७६ १३२,१३.३ ६.६ २७,१०५ ७५ १०४,१३२
SR No.010237
Book TitleJain Granth Prashasti Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmanand Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1953
Total Pages371
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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