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पावै शीतल पानी, कि भजलै०॥५॥ जिनवच अमृत पान, करे तेंपावे अनुपम थानी ॥ समकित ज्ञान चरण धारण करि वरै शीघ्र शिवरानी, कि भजलै०॥६॥ तातें अब जिन वर वचनामृत पान करौ भविप्राणी ॥ गिरवर सो यांचतप्रभुजीसे दीजे मोक्ष निशानी,कि भजलै०॥७॥
(गीत-हरसमय) मैं तोसों पूंछौं शीलसहुद्रा कौन २ व्रत पाले जी ।। शील को पाल कुशील को त्यागौ तप में मेरो मन लागौजी॥१॥ मैं तोसों पूंछौं पन्नाजु बाई कौन २ तीरथ बन्देजी॥ शिखर जी बन्दे सोनागिर वन्दे गिरनारी में मोरो मन लागौ जी ।। २ ।। मैं तोसों पूंछौ गेंदीजु बाई कौन २ शास्तर भ्यासे जी || नाटक जी भ्यासे पद्म पुराण अभ्यासे गोमटसार में मेरी मन लागौ जी॥३॥ कार्तिक सुदी पूनम के दिन यह ऊधौ गारी गाई जी ।। गारी जु गाई पढ़के सुनाई सब जीवों मन भाई जी ॥४॥
(गीत-हरसमय) इक तप को बंगला बुवायो झरोखा विरतन को ॥टेक ॥ इक तप को दियला लिसानो तो तेल बरै आठौं करमन कौ॥ इक तप की सेज विछाव दुलीचा