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छोडौं छोड़ों में इनकी बंध तौ वाजें नेवरा घने॥१८॥तुम होमभु दीन दयाल तो बाजे नेवरा घने ।। तुम मत जाओ गिरनारतोया नेवरा घने ॥१९॥ तव प्रभुजीने यों भाखियो बाजें नेवरा घने ॥ या जगको अथिर स्वभाव तो वाजें नेवरा घने ॥ २०॥ प्रभु मन उपजौ वैराग तो वाजें नेवरा घने । अव आगयौ तप को जोग तो वाजें नेवरा घने ॥ २१ ॥ दयाचन्द विनती करें वाजें नेवरा घने ।। मेरी काटौ करम जंजीर तो वाजें नेवरा घने ॥ २२ ॥
("वाजें नेवरा धने" की चाल-विवाहमें) चेतन राय कुमति निकारियौ वाजें नेवरा धनें । अरु घर तें दई है निकार तौ वाजें नेवरा घने ॥टेका। चारहि गति कुमती फिरे चाजे नेवरा धने । ताकी कोऊ न पूंछे चात तो वाजें नेवरा घने ।।१।। तब मन चंचल यों चिन्तवै बाजे नेवरा घने । अब कुमति न मो दिगाव तो वाजें नेवरा घने ॥२॥ यो कुमति नारि को त्यागियौ वाजे नेवरा घने ॥ वो तो दुर्गति को लेजाय तो बाजें नेवरा घने ॥३॥ सुमति नारि को सँग गही बाजें नेवरा घने।वाती सुरगन को लेजाय तो बाज नेवरा घने ॥४॥ यो गिरवरदास अरज कर वाजें नेवरा घने।कोई कुमति न धारौ भूल तौ वाजें नेवरा घने ॥५॥