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(बनरा-विवाहमें) "बनाक संग चलोगीरे, अटरिया छोड चलूंगीर" बना स्यामलिया स्वामी जी, बना सबमें सिर नामी जी, वना मेरो जगसे न्यारी जी, बना स प्यारी जी, बनाके संग चलूंगी जी, नेह सब तोड़ चलूंगी जी ॥ टेक ।। वनाको जाय मनाऊं जी, चरणमें सीस नमाऊं जी, बना तो जगत उदासी जी, बना की वनहीं दासी जी, चनाके संग चलूंगी जी, नेह सय नोड चलूंगी जी ॥१॥ बना तो शरण सहाई जी, बनाकी कौन बड़ाई जी, यना निज रसमें डूबा जी, मुमतिके द्वार ऊभी जी, बनाके संग-॥ २॥ वना निज नेम सँभारी जी, कुमति की सैन बिडारीजी, सुमति की सेज पधारी जी, वना दस सखिन सिंगारी जी, बनाके संग-॥ ॥ बना धन भाग हमारी जी, पना जी शरण तिहारा जी, बना करुणाकर तारी जी, दद्याचद दास विचारी जी, घना के संग-॥४॥
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( वनरा-विवाहमें) मारी सब भैयन सिरदार बना करें क्या बवि लागीर।। स्वामी तीन लोक सरदार श्यामलिया नाथ कहा जु