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पिता पायौ सुख जासी, रहम दिला ॥ ६ ॥ नाग चिन्ह पद देव दिखासी, रहम दिला ॥ कान्ति श्याम रंग हरा दिखासी, रहम दिला ॥७॥ सप्त हाथ तन बाल उदा. सी, रहम दिला ॥ कारण पाय भये बनवासी, रहमदिला ॥ ८॥ तप धरि कमों कीन्ही नाशी, रहम दिला॥ केवलज्ञान भयौ भव नाशी, रहम दिला ॥९॥ भव्यन को शिवमार्ग बतासी, रहम दिला ॥ गये शिवपुर कर्मों को नाशी, रहम दिला ॥ १० ॥ नाथुराम ये विनय करासी, रहम दिला ॥ मुझे राख प्रभु चरणन पासी रहम दिला ॥११॥
(३०)
("बनरा” विवाहमें) मोरौ शिवपुर जावन हारौ चेतन जग उजियारो री॥ टेक । मेरौ पंच महाव्रत धारी वनरा जगते न्यारौ री ॥१॥ मोरौ रत्नत्रय को धारी वनरा शिव त्रिय प्यारौ री॥२॥ मोरौ दश लक्षण को धारी वनरा सुमति सम्हारौरी ॥३॥ मोरौ सोलह कारन धारी बनरा जग उपकारौरी ॥ ४॥ मोरौ द्वादश तप को धारी वनराकर्म प्रजारौ री॥५॥ मोरौ सहे परीषह बाईस वौ तो शिव मग त्यारौरी ॥६॥ मोरौ राग द्वेष को त्यागी बनरा