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होत तये दुख भारी कि हांज।मार प्रीतम सुगुरु सयाने कुमती नारि यिगारी कि हांज ॥१॥ मेरे पिया के मुभट महन्ता चार चतुष्टय धारी कि दांजू ।। जय सुधि करें प्यारे चार सुभट की नय कुमती को मारी कि हांजू ॥२॥हाँ सुमती शिव घर की सहेली पियसे करत पुकारी कि हांजू ॥ अय पिय निज 'मट वेग सस्मारो चलिये निज घर सारी कि हांजू ॥ ॥ श्रानम सुमति सहेली राधिका लेगई शिव अधिकारी कि हांजू॥ सो निज धार सार प्रातम रस गिरवर वर शिव नारी कि हांजू ॥ ४॥
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(चाल "हांजू" मुंडन बन्दना आदिमें) प्रथक २ जिन पूजन को फल सुनलो जिन मुग्न पायो कि हांजू ।। टेक ।। सोमश्री कन्या बनवन्ती निर्मल धार दिवायो कि हांजू ॥ राज विभूति पाय पुनि मुरगति देवांगन मन भायो कि हांजू ॥१॥ मनायलि खगपनि की नारी चन्दन पृज कराया कि हांज। छिनमें रोग विनाश भयो जिदि सुरग रिद्धि वर पायौ कि हांजू ॥२॥ शुक सारो जुग भाव सहित जिन चरणन अन्तत नाया कि हांजू ॥ देव लोक पद् पूज्य भये वसु शिशि विगत सुख पाया कि हांज ॥ ॥ दादुर पांच कमल